– सी-डॉट कोर, तेजस रेन और टीसीएस के इंटीग्रेशन पर आधारित बीएसएनएल का स्वदेशी 4जी नेटवर्क विकसित भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम: सिंधिया
– भारत की दूरसंचार आत्मनिर्भरता को मजबूत करना है इस पहल का उद्देश्य
नई दिल्ली, 26 सितम्बर। केन्द्रीय संचार और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 27 सितंबर शनिवार को दो महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत करेंगे। पहली पहल है देशभर में करीब 98 हजार मोबाइल 4जी टावरों का रोलआउट और दूसरी पहल है पूरी तरह स्वदेशी 4जी नेटवर्क, जो पूरी तरह सॉफ्टवेयर-आधारित, क्लाउड-आधारित और भविष्य में 5जी के लिए तैयार है।
केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा कि भारत का कोई भी हिस्सा इस नेटवर्क से अछूता नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि ये 4जी टावर पहले ही देश के 22 मिलियन ग्राहकों को सेवा दे रहे हैं। यह स्वदेशी 4जी नेटवर्क बीएसएनएल द्वारा लागू किया गया है। इसमें रेडियो एक्सेस नेटवर्क (रेन) तेजस नेटवर्क ने विकसित किया है, कोर नेटवर्क सी-डॉट ने बनाया है और टीसीएस ने इसे इंटीग्रेट किया है। सिंधिया ने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि भारत अब दुनिया के शीर्ष दूरसंचार उपकरण निर्माताओं की श्रेणी में शामिल हो गया है।
उन्होंने आम नागरिक के लिए इस पहल के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि बिहार के छात्रों को अब विश्वस्तरीय ऑनलाइन शिक्षा तक आसानी से पहुंच मिलेगी। पंजाब के किसान मण्डी भाव की जानकारी रियल-टाइम में प्राप्त कर सकेंगे। कश्मीर में तैनात सैनिक अपने परिवार से जुड़े रहेंगे। उत्तर-पूर्व के उद्यमियों को अंतर्राष्ट्रीय अनुभव और फंडिंग तक पहुंच मिलेगी। इस 4जी इंफ्रास्ट्रक्चर का उद्देश्य हर भौगोलिक स्थिति या पृष्ठभूमि के भारतीय को सशक्त बनाना है। इसके अलावा भारत का 100 प्रतिशत 4जी संतृप्ति नेटवर्क डिजिटल भारत निधि (डीबीएन) के तहत लागू किया गया है, जिसमें करीब 29 हजार गांवों को 4जी नेटवर्क से जोड़ा गया है। यह बीएसएनएल की 25वीं वर्षगांठ से पहले एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
सचिव दूरसंचार डॉ. नीरज मित्तल ने भारत की दूरसंचार विकास यात्रा का विवरण देते हुए बताया कि कैसे कुछ साल पहले असंभव लगने वाली स्वदेशी 4जीन तकनीक अब वास्तविकता बन गई है। उन्होंने बताया कि युवाओं, उद्योग और लगातार निगरानी की मदद से भारत दूरसंचार में आत्मनिर्भर बन चुका है और अब यह तकनीक विश्व स्तर पर निर्यात करने की स्थिति में है। यह प्रधानमंत्री के डिजिटल भारत और वैश्विक नेतृत्व के विज़न के अनुरूप है। आज भारत उच्च गुणवत्ता वाली टेलीकॉम सेवाओं को 1.2 अरब लोगों तक पहुंचा रहा है और साथ ही टेलीकॉम उपकरण निर्माण में विश्व स्तरीय केन्द्र के रूप में स्थापित हो रहा है। यह उपलब्धि डिजिटल समावेशन, वैश्विक नेतृत्व और ‘वसुधैव कुटुंबकमÓ के सिद्धांत को साकार करती है। इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री इस उपलब्धि को राष्ट्र को समर्पित करेंगे, जो केवल तकनीकी मील का पत्थर नहीं, बल्कि एक दूरदृष्टि को साकार करने का प्रतीक है।