भिण्ड, 26 अक्टूबर। लहार तहसील में स्थित देश के प्रसिद्ध तीर्थस्थल रावतपुरा सरकार धाम में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के तत्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल के प्राध्यापक डॉ. दाताराम पाठक मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के प्राध्यापक डॉ. रमन मिश्रा ने की।
कार्यक्रम के दौरान रावतपुरा सरकार संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों ने संस्कृत भाषा में ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. दाताराम पाठक ने कहा कि कहा कि संस्कृत में भारतीय संस्कृति की जडें स्थापित है, संस्कृत में ऋषियों द्वारा अन्वेषित ज्ञान-विज्ञान का संपूर्ण खजाना है। इसमें भारतीय सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित है। संस्कृत का अर्थ शुद्ध, परिष्कृत, श्रेष्ठ है क्योंकि संस्कृत भाषा हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता का सजीव व मूर्त रूप है। इसमें इतिहास का पश्चिमी मोह नहीं है और देश-काल का अतिक्रमण कर सबका समावेश कर पाने की क्षमता इसमें विद्यमान है। यह साहित्य, पर्यावरण, शिक्षा, ज्ञान व मानव गरिमा की रक्षा करने के लिए तत्पर है। डॉ. रमन मिश्रा ने कहा कि संस्कृत भारतीय मानव विकास क्रम में जुडी भाषा है। यह देश की अन्य भाषाओं का उदगम स्त्रोत है। उन्होंने कहा कि संस्कृत न केवल ऋषियों की वाणी है अपितु यह सृष्टि का आधार है और यह अनादि काल की भाषा है। इस दौरान जयदेव संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी एवं ईश नारायण द्विवेदी समेत अन्य विद्वानों द्वारा संस्कृत विषय पर व्याख्यान दिए गए।