@ राकेश अचल
छह दशक पहले संत ज्ञानेश्वर फिल्म के गीत की पंक्तियाँ आज भी जब कानों में गूंजती हैं तो अंतरमन प्रकाश से भर जाता है, लेकिन आज इसी गीत का अनुसरण करते हुए सरयू के तट पर जब दीपक जलाने का कोई कीर्तिमान गढा जाता है तब हंसी आती है. हंसी इसलिए आती है क्योंकि ये संत ज्ञानेश्वर का काम नहीं बल्कि एक सियासी योगी की सनक है जो अपने प्रारब्ध की वजह से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये हैं.
अयोध्या में गत आठ साल से सरकार दीपोत्सव करती है, हालांकि ये काम सरकार का नहीं है और न सरकार ऐसे कामों के लिए चुनी जाती है, लेकिन 2017 से हर साल अयोध्या में दीपोत्सव नया इतिहास बनाने के लिए आयोजित किया जाता है नौंवे दीपोत्सव पर इस बार दो नए विश्व कीर्तिमान गढे गए। दीपोत्सव पर अयोध्या के 56 घाटों पर दीपों को सजाया गया। दीपोत्सव के साथ ही सरयू तट पर महाआरती का भी रिकॉर्ड बना। इसका मुख्यमंत्री योगी को प्रमाण पत्र भी सौंपा गया। अंधेरा होते ही ड्रोन शो और लेजर शो का आयोजन किया गया, जिसने लोगों का ध्यान खींचा।
मुख्यमंत्री योगी ने रामलला का पूजन-अर्चन कर परिसर के मुख्य द्वार के सामने एक दीप प्रज्वलित कर दीपोत्सव का आगाज किया। दीपोत्सव का आगाज होते ही 56 घाटों पर 26 लाख 17 हजार 215 दीपक जलाकर अयोध्यावासियों ने एक नया रिकॉर्ड बनाया। फिर सरयू तट पर 2128 वेदाचार्यों महाआरती का रिकॉर्ड दर्ज किया गया। मौके पर ही दोनों का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज करने की घोषणा की गई। इसके बाद सीएम योगी को प्रमाण पत्र सौंपा गया।
मुझे इस दीपोत्सव से एक सनातनी होने के बावजूद घोर आपत्ति है क्योंकि उप्र की सरकार ये सब सियासत के लिए करती है न कि धर्म के लिए. धर्म के लिए इस तरह के आयोजनों की इजाजत संविधान भी नहीं देता. मेरी बात सौ फीसदी गलत और कुंठित कही जा सकती थी लेकिन तब जब कि वो गलत होती. नये कीर्तिमान बनाने के बाद योगी ने खुद राजनीति करने का प्रमाण दिया.नौंवे दीपोत्सव के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर जोरदार हमला बोला और कहा, ‘जब हमने 2017 में अयोध्या धाम में दीपोत्सव आयोजित करने का निर्णय लिया, तो इसके पीछे हमारा उद्देश्य दुनिया को यह दिखाना था कि वास्तव में दीप कैसे जलाए जाते हैं।’ मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रति विपक्षी दलों के रुख को लेकर उन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, इसी अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान कांग्रेस ने कहा था कि राम एक मिथक हैं, जबकि समाजवादी पार्टी ने राम भक्तों पर गोलियां चलवाई थीं।” उन्होंने पिछले वर्ष हुए राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह के निमंत्रण को कथित रूप से अस्वीकार करने को लेकर भी विपक्षी दलों की आलोचना की।
मुझे आपत्ति न होती यदि ये खर्च भाजपा या योगी जी यदि अपनी जेब से करते. दीपोत्सव पर जो खर्च हुआ वो सरकारी था. ये खर्च तब हुआ जब सरकार 9 लाख करोड रुपये के कर्ज में डूबी है. ये दिए तब जलाये गये जब यूपी के हर व्यक्ति के ऊपर 37500₹ का कर्ज है. ये रोशनी तब हुई जब यूपी में छह हजार डाक्टरों की कमी है.ये रोशनी तब हुई जब बरेली, संबल में बुलडोजर गरज रहे थे और सैकडों लोगों को बेघर किया जा रहा है..बेहतर होता कि ये दीपक उन झोपडियों में जलवाए जाते जहाँ आज भी अंधेरा है.
लोग कहेंगे कि तेली का तेल जले तो मशालची का दिल क्यों जलता है? लेकिन दिल जलता है ऐसे चोचले देखकर. किंतु योगी सत्ता में है. सत्ता सर्वशक्तिमान होती है और उसे किसी भी कृत्य, कुकृत्य के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता. बस यहीं मैं गलत हूं और योगी बाबा सही. प्रभु श्रीराम ऐसे योगियों को सदबुद्धि दे.सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.