भिण्ड, 17 सितम्बर। दबोह क्षेत्र के सुप्रसिद्ध प्राचीन धार्मिक स्थल कांक्सी सरकार पर बुढवा मंगल पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। सर्वप्रथम अंजनी पुत्र हनुमानजी महाराज का अभिषेक किया गया, तदुपरांत भगवान हनुमानजी की आरती श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर रामदास महाराज के कृपा पात्र मन्दिर के पुजारी नाटी महाराज ने की। इसके बाद सामूहिक संगीतमय सुंदरकाण्ड पाठ का आयोजन किया गया। यहां फूल बंगला एवं छप्पन भोग की मनोहर झांकी भी लगाई गई। उसके बाद बाल भोग का वितरण किया गया, साथ ही दोपहर से देर रात्रि तक भव्य विशाल भण्डारे का आयोजन हुआ। जिसमें बडी संख्या में की मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश व अन्य जगहों से आए श्रद्धालुओं ने भोजन प्रसादी ग्रहण की।
मान्यता है कि कांक्सी सरकार का मन्दिर एक ऐसा रमणीक, मनोरम स्थल है जहां हर मंगलवार व शनिवार को दर्शन करने के लिए बडी तादात में लोग पहुंचते हैं। यहां भगवान बजरंगी को मजिस्ट्रेट की उपाधि से जाना जाते हैं और यहां दर्शन मात्र से रुके पडे न्यायालयीन मामलों का हल निकल आता है। कांक्सी सरकार का मन्दिर भिण्ड जिले में ही नहीं बल्कि मप्र व उप्र, राजस्थान के कई जिलों में भी जाना जाता हैं। माना जाता है कि यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से प्रार्थना करता करता है उसके संकट समाप्त हो जाते हैं। यह धाम दबोह से लगभग सात किमी और लहार से 18 किमी की दूरी पर स्थित है। स्थानीय लोगों की मानें तो विगत 60 वर्ष पूर्व कांक्सी सरकार झाडियों के बीचो-बीच सिर्फ एक चबूतरे पर विराजमान थे। जिन्हें पहली बार बिजोरा के नागा बाबा ने देखा था। तब से नागा बाबा यहीं निवासरत होकर पूजा अर्चना करने में लग गए थे।
यहां बुढवा मंगल के अवसर पर विशाल भण्डारे भी आयोजन हुआ। जिसमें हजारों की संख्या में भक्तों ने प्रसादी ग्रहण की। संपूर्ण कार्यक्रम की व्यवस्था में एसडीओपी लहार के निर्देशन में दबोह थाना प्रभारी राजेश शर्मा अपने दलबल के साथ तैनात रहे और मन्दिर पर संपूर्ण व्यवस्था को बखूबी संभाला, जिसके चलते मन्दिर समिति द्वारा प्रशासन की अच्छी व्यवस्था के लिए सभी का आभार प्रकट किया गया।
मजिस्ट्रेट की उपाधि से जाने जाते हैं कांक्सी सरकार
मान्यता है कि कांक्सी सरकार हनुमानजी के जो भी भक्त पांच मंगलवार की परिक्रमा कर लेता हैं, वह उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं। बताया जाता है कि कांक्सी सरकार कोर्ट, कचहरी, जमीन जायजाद वाले फैसले जल्दी सुनाते हैं, जिसके चलते उन्हें मजिस्ट्रेट की उपाधि मिली है। जो लोग कोर्ट कचहरी से ज्यादा परेशान रहते हैं वह तो अपनी फाइल ही भगवान के चरणों के अर्पित कर जाते है और सब उनके भरोसे छोड देते हैं।