सत्य, करुणा, भावना विहीन मनुष्य मुर्दे के समान : हेमलता

रावतपुरा धाम में नौ दिवसीय रामकथा के दौरान हो रहे प्रवचन

भिण्ड, 23 दिसम्बर। लहार क्षेत्र के रावतपुरा धाम में आयोजित की जा रही नौ दिवसीय राम कथा के चौथे दिन कथा वक्ता हेमलता शास्त्री ने जीवन के सोलह संस्कारों की कथा सुनाई। इस मौके पर रावतपुरा धाम के महंत रविशंकर महाराज विशेष रूप से मौजूद रहे।
कथा वक्ता हेमलता शास्त्री ने कहा कि जिस मनुष्य के जीवन में संस्कारों का अभाव है, वह व्यक्ति समाज और ईश्वर के निकट नहीं जा सकता। अगर संस्कार जीवन में है तो आज भी ध्रुव, प्रहलाद जैसी संताने धरती पर आ सकती हैं। उन्होंने मानव जीवन के संस्कार से संबंधित कथा को बताते हुए कहा कि ध्रुव के जीवन में वेद, वेदांत का ज्ञान संस्कारों के द्वारा आया। आज का मनुष्य वस्त्र आदि से मनुष्य दिखता है। लेकिन आचरण पशु तुल्य है। जिस व्यक्ति के जीवन से सत्य, करुणा, भावना चली गई हो वह मनुष्य जीते जी मुर्दे के समान होता है। अत: मनुष्य को सत्संग, भजन एवं आचरण के द्वारा जीवन को धन्य बनाना चाहिए। तभी मानव जीवन का उद्देश्य सफल होगा।
उन्होंने कहा कि नारायण की भक्ति में ही परम आनंद मिलता है। उसकी वाणी सागर का मोती बन जाता है। भगवान प्रेम के भूखे हैं। वासनाओं का त्याग करके ही प्रभु से मिलन संभव है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि वासना को वस्त्र की भांति त्याग देना चाहिए। आज-कल हम लोगों ने धर्म और शास्त्रों को सम्मान देना बिल्कुल कम कर दिया है और जिसके विपरीत परिणाम हमें देखने को मिल रहे हैं। आज-कल अगर कोई पाठशाला या गुरुकल में अध्ययन करके आता है। तो उसे हम नाम मात्र के लिए भी सम्मान नहीं देते और वहीं कोई थोडी सी भी पढाई करके कोट-पेंट पहनकर आ जाता है। तो हम लोग उसके पीछे भागते हैं। ये हम सबकी कमी है।
कथा वक्ता हेमलता शास्त्री ने कहा कि हमें अगर जीवन में कुछ करना है तो प्रभु राम को आराध्य बनाकर ही किया जा सकता है, क्योंकि जब हम राम को आदर्श बनाएंगे तो मन और तन के विकार स्वत: ही नष्ट हो जाएंगे। जब हम प्रभु राम को आराध्य बनाकर गौ, धर्म, शास्त्रों, गुरुओं और ब्राह्मणों को सर्वोच्च सम्मान देना प्रारंभ कर देंगे। उस दिन हमारे देश को विश्वगुरू बनने से कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि हमारे देश विश्वगुरू था और सदैव रहेगा।