दुराचार के आरोपी एवं साथ देने वाले माता-पिता को आजीवन कारावास

एक अन्य आरोपी को दस वर्ष की सजा
न्यायालय ने कुल तीन लाख 60 हजार का जुर्माना भी लगाया

ग्वालियर, 20 जून। एकादशम् अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) श्री तरुण सिंह के न्यायालय ने दुराचार के मामले में आरोपीगण अभियोक्त्री की मां, सौतेले पिता एवं रामकुमार पुत्र जसराम गौड़ उम्र 46 वर्ष निवासी पृथ्वीनगर सिरौल, जिला ग्वालियर को धारा 376, 376(2)(प), 376(2)(द), 452, 323, 506, 34, 120बी भादंसं, धारा 3/4, 5एल, 5एन, 6 लैंगिक अपराध से बालकों का सरंक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 75 किशोर न्याय अधिनियम 2015 में आजीवन कारावास एवं आरोपी बृजेश पुत्र बनवारी लाल जाटव उम्र 36 वर्ष निवासी सागरताल मल्टी, बहोड़ापुर, ग्वालियर को 10 वर्ष के कठोर कारावास एवं सभी आरोपीगणों को तीन लाख साठ हजार रुपए के जुर्माने दण्डित किया है।
अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी आशीष कुमार राठौर एवं उनकी सहयोगी एडीपीओ नैंसी गोयल ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि अभियोक्त्री कक्षा सात तक अध्ययनरत रही है। उसकी मां एवं सौतेले पिता एवं उनके दोस्त अभियुक्त रामकुमार गौड़ एवं बृजेश जाटव उसके घर आते-जाते रहते थे। उसके माता-पिता रामकुमार गौड़ एवं बृजेश जाटव से पैसे लेकर लगभग पिछले 10 माह से उसके साथ गलत काम करा रहे थे। अभियुक्त बृजेश जाटव के साथ उसके माता-पिता रात्रि में कमरे में अकेला छोड़ देते थे, अभियुक्त बृजेश ने पांच जून 2021 से 20 मार्च 2022 तक उसके साथ गलत काम किया, उसके बाद बृजेश जाटव ने उसके पास आना बंद कर दिया। उक्त बात किसी को बताने पर अभियुक्त बृजेश उसे जान से मारने की धमकी देता था। रामकुमार गौड़ पिछले छह माह से उसके साथ गलत काम कर रहा था, उसके माता-पिता उसे घर में बंद रखते थे और उसे कहीं जाने नहीं देते थे, किसी व्यक्ति से बात नहीं करते थे और न ही उसे सहेली बनाने देते थे। वह स्कूल में भी किसी को कुछ नहीं बता दे, इसलिए उसकी माता उसके स्कूूल में साफ-सफाई व खाना बनाने का काम करती थी और क्लास के समय भी बाहर दरवाजे के पास उसकी निगरानी करने बैठी रहती थी। उक्त घटना के संबंध में थाना सिरोल में अपराध क्र.134/22 धारा 376, 376(2)(प), 376(2)(द), 452, 323, 506, 34, 120बी भादंसं, धारा 3/4, 5एल, 5एन, 6 लैंगिक अपराध से बालकों का सरंक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 75 किशोर न्याय अधिनियम 2015 पंजीबद्ध कर प्रकरण विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। न्यायालय ने अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपीगण को सजा सुनाई है।