जैन धर्म का पावन पर्व श्रुत पंचमी

गीतकार : किशोरी लाल जैन बादल भिंड

जिनवाणी मां आतम का सहारा तेरा नाम रे
मुझे तेरी शरण से ही काम रे
जिनवाणी मां……….

मिथ्या दुनिया मिथ्या बंधन,
मिथ्या है यह ये माया
मिथ्या साथ में प्रीत बढ़ाना,
मिथ्या है यह ये काया
हो माँ साथ प्रभु जिन नाम रे
मुझे तेरी शरण से ही काम रे
जिनवाणी मां……….

राग द्वेष अनुराग है जग में
मिथ्यात भरा जग ये सारा
निज स्वरूप को स्व मे जाना
पर से किया किनारा
हो मां प्यारा तेरा धाम रे
मुझे तेरी शरण से ही काम रे
जिनवाणी मां……….

निश दिन तेरा दर्शन पाऊं
कर्म निर्जरा निज में पाऊं
जीवन मेरा प्रभु चरणों में
आतंम सुख माँ पहुंचाऊं
हो मां बिनती आतम राम रे
मुझे तेरी शरण से ही काम रे
जिनवाणी मां……….

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