गुरू जीवन में पूंजी की भांति होते हैं : विमर्श सागर

दीक्षा भूमि भिण्ड पर हुआ दीक्षा का रजत महोत्सव

भिण्ड, 14 दिसम्बर। रजत विमर्श संयमोत्सव के साथ आचार्य विमर्श सागर महाराज ने अपनी निर्वाण दीक्षा के 25वें वर्ष में प्रवेश किया। गणाचार्य विराग सागर मुनिराज ने 14 दिसंबर 1998 को अतिशय क्षेत्र बरासों भिण्ड में 13 जैनेश्वरी मुनि दीक्षा प्रदान की थी, जिनमें आचार्य विमर्श सागर महाराज भी शामिल थे। जो आज संपूर्ण विश्व में ‘जीवन है पानी की बूंदÓ महाकाव्य के मूल रचियता के नाम से प्रसिद्धि को प्राप्त हैं। जिन्हें छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य अतिथि का दर्जा प्रदान किया गया। जिनके द्वारा लिखी गई रचना ‘देश और धर्म के लिए जिओ’ को मप्र शिक्षा बोर्ड कक्षा 11 की हिन्दी मकरंद में जोड़ा गया। जैन समाज की एकता और अखण्डता के लिए जिनके द्वारा जिनागम पंथ जयवंत हो का पवित्र सूत्र प्रदान किया गया। आचार्य श्री 108 विमर्श सागर महाराज का रजत विमर्श संयमोत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया। इस आयोजन में मुनि प्रतीक सागर एवं मुनि विनय सागर शामिल हुए।

आचार्य श्री विमर्श सागर महाराज ने अपने दीक्षा प्रदाता गुरू गणाचार्य विराग सागर महाराज के चरणों में श्रृद्धा पुष्प समर्पित करते हुए कहा कि गुरू जीवन में पूंजी की भांति होते हैं। यदि पूंजी सुरक्षित है तो आय होती रहती है, यदि पूंजी ही नष्ट हो जाए तो आय भी नहीं होती है। अत: अपने जीवन में गुरू रूपी पूंजी को हमेशा सुरक्षित रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि विराग सागर महाराज ने मुझे यह संपदा प्रदान की है। आज मैं जैसा भी हूं, जहां भी हंू, वह गुरुवर विराग सागर महाराज की अनुकंपा से ही हूं। ऐसा ही आशीष आचार्य गुरुदेव का मुझे हमेशा प्राप्त होता रहेए यही कामना है। संध्या बेला में प्रसिद्ध गीतकार रूपेश जैन द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी गई।

जीवन है पानी की बूंद ग्रंथ का विमोचन

आचार्य श्री विमर्श सागर द्वारा लिखी गई कालजयी रचना ‘जीवन है पानी की बूंदÓ महाकाव्य का विमोचन आयोजन में पधारे व्याख्यान वाचस्पति डॉ. श्रेयांश जैन एवं शैलेन्द्र जैन आदि विद्वानों द्वारा किया गया।

जिनागम पंथी विद्वत संघ का हुआ गठन

आचार्य विमर्श सागर महाराज के रजत विमर्श संयमोत्सव वर्ष में उदय जैन कोटा के संयोजन में एक विद्वत संघ का गठन हुआ, जिसको दिया गया नाम है जिनागम पंथी विद्वत संघ। यह विद्वत संघ वर्ष भर नगर, गांव जाकर जैन धर्म जिनागम पंथ की महती प्रभावना में संस्काथरों का शंखनाद करते रहेंगे।