नसिया जैन मन्दिर परिसर में चल रहे हैं मुनिश्री के प्रवचन
भिण्ड, 01 दिसम्बर। मप्र शासन के राजकीय अतिथि क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर महाराज ने नसिया मन्दिर परिसर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म का संबंध तर्क से नहीं, समर्पण से है। जहां सब कुछ अर्पण हो जाता है वहीं से सब कुछ मिलना प्रारंभ होता है, विज्ञान तर्क से चलता है, धर्म समर्पण से चलता है। समर्पण की भाषा ही परमात्मा के द्वार तक ले जाने की कुंजी है। अहंकार उठने नहीं देता है और स्वाभिमान गिरने नहीं देता है। मैं श्रेष्ठ हूं यह स्वाभिमान है मैं ही श्रेष्ठ हूं यह अभिमान है। रावण और कंस ने अभिमान के कारण सब कुछ गवां दिया और स्वाभिमान रखकर राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर ने सब कुछ पा लिया।
मुनि श्री प्रतीक सागर महाराज ने आगे कि समाज और परिवार में मिठास पैदा करने के लिए शब्दों को नपा-तुला बोले, शब्द ब्रह्म है, महापुरुषों ने नपा तुला बोला तो उनके बोल आज भी अनमोल बन गए। पानी और वाणी का मितव्यय होना चाहिए। वाणी जब मीठी होती है तो दो दिलों को जोडऩे का काम करती है, वाणी में जब व्यंग होता है तो दो दिलों को तोडऩे का काम करती है, इसलिए जीवन में शब्दों को गीत बनाकर दुनिया के सामने प्रस्तुत करें तीर बनाकर नहीं। मुनिश्री ने कहा कि बुरा हो जाए तो दूसरे को दोष ना दें, अपितु अपने कर्मों का उदय मानकर समता भाव से उसे स्वीकार करें। धर्मात्मा दूसरे को दोषी नहीं ठहरा था वह अपने आप को दोषी मानता है, सीता को जब गर्भवती अवस्था में जंगल में छोड़ा गया तो सीता ने यही कहा था कि एक धोबी के कहने पर मुझे तो छोड़ दिया है, प्रभु राम से जाकर के कह देना किसी धोबी के कहने पर अपनी मर्यादा को ना छोड़ दें।
धर्म सभा के प्रारंभ में पूज्य मुनिश्री के गुरु आचार्य श्री पुष्पदंत सागर महाराज के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्वलन किया गया।
मुनिश्री की विराट धर्मसभा शहीद चौक हाउसिंग कॉलोनी पर आज
क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर महाराज की दो दिसंबर को सभी धर्म और जाति के लोगों के लिए विराट धर्मसभा के रूप में शहीद चौक हाउसिंग कॉलोनी में सुबह आठ से 10:30 तक आयोजन किया जाएगा। जिसमें सभी धर्म और जाति के श्रृद्धालुओं को मुनिश्री जीवन जीने के सूत्र प्रदान करेंगे। कार्यक्रम का प्रारंभ आचार्य श्री पुष्पदंत सागर महाराज का चित्र अनावरण कर किया जाएगा तथा मुनिश्री के पाद प्रक्षालन और शास्त्र भेंट आदि की मांगलिक क्रियाएं संपन्न होंगी।







