सौ दिन के चातुर्मास में समाज की एकता धर्म के प्रति आस्था उत्साह देखने को मिला : विहसंत सागर

भिण्ड, 21 अक्टूबर। पवैया जैन मन्दिर में चातुर्मास कर रहे मेडिटेशन गुरु उपाध्याय विहसंत सागर महाराज, मुनि विश्व साम्य सागर महाराज ने कहा कि आज चातुर्मास के अंतिम दिन है, क्योंकि दीपावली के दिन चातुर्मास का निष्ठापन हो जाता है, इस चातुर्मास में समाज की एकता लोगों में धर्म के प्रति आस्था और उत्साह देखने को मिला।
मुनिराज ने कहा कि हमने एक साथ मिलकर के चारों दिशाओं को साक्षी मानकर 25 किमी का बंधन यानी आने-जाने के लिए किया, जिसमें इस बार का चातुर्मास 100 दिन का हुआ, अष्ठानिका को जोड़ें तो चातुर्मास चार माह का हो जाता है, सौ दिनों में साधना धर्म की प्रभावना की और सबसे बड़ी बात रही कि चातुर्मास में किसी प्रकार की बोलियां नहीं लगाई गई।
मुनिराज ने कहा कि इस वर्ष के चातुर्मास में नगर के आस-पास के जैन मन्दिरों में लगने वाले वार्षिक मेला पूजन विधान आदि कार्यों को पूर्ण कर धर्म की प्रभावना की वर्ष में एक बार सरस्वती महाअर्चना करने का अवसर चातुर्मास में मिलता है, वह भी हर्ष उल्लास के साथ संपन्न हुआ दसलक्षण पर्व के पश्चात क्षमावाणी पर्व पर नगर में विशाल और भव्य शोभायात्रा एवं बाल संस्कार शिविर में 1100 बच्चों को धर्म की चर्चा और संस्कार का अवसर मिला। इस अवसर पर जगदीश जैन दादा, राजेन्द्र जैन बिल्लू, राजेन्द्र जैन पप्पू, मुकेश जैन बड़ेरी, पार्षद मनोज जैन, चक्रेश जैन, नरेश जैन, सुनील जैन, विशाल जैन छोटू, दीपू जैन, सपेन्द्र जैन सप्पे, अशोक जैन महामाया, शिवनारायण चाचा, पवैया मन्दिर कमेटी एवं मरुदेवी महिला मण्डल के कार्यकर्ता उपस्थित थे।

विहसंत सागर महाराज का पिच्छीका परिवर्तन समारोह बुधवार को
मेडिटेशन गुरु उपाध्याय विहसंत सागर महाराज का पीछी परिवर्तन समारोह कार्यक्रम पवैया जैन मन्दिर धर्मशाला में 22 अक्टूबर बुधवार को दोपहर 2 बजे आयोजित किया जाएगा। पार्षद मनोज जैन ने बताया कि पीछी परिवर्तन के पश्चात 23 अक्टूबर को सुबह मुनिराज का मंगल बिहार इटावा के लिए होगा, जो आगामी नवंबर के प्रथम सप्ताह में पुन: नगर में पंचकल्याण के लिए आगमन होगा।