भिण्ड, 02 अक्टूबर। दंदरौआ धाम मन्दिर परिसर में 1008 महामण्डलेश्वर महंत रामदास महाराज के सानिध्य में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए कहा कि डॉक्टर हनुमान दंदरौआ धाम में सखी रूप में विराजे हैं। हनुमानजी महाराज अपने भक्तों के दुख और दर्द को हर लेते हैं।
उन्होंने कहा कि ईश्वर को हम भले ही न देख पाएं लेकिन ईश्वर हर क्षण हमें देख रहा होता है। उसकी दृष्टि हमेशा अपने भक्तों पर रहती है। हम जिस पल भगवान को सच्चे मन से याद करते हैं, वहीं पल सार्थक है, बांकी सब मिथ्या। उन्होंने कहा कि धन-दौलत, मान-प्रतिष्ठा सब अस्थाई होता है जो विपरीत परिस्थितियों में बेसहारा छोड़ चला जाता है। एक भगवान का नाम ही है जो हमारे साथ हमेशा रहता है।।
कथा व्यास संत अवध बिहारीदास महाराज ने कहा कि भक्ति प्राप्त करने के लिए सती जैसा त्याग होना चाहिए। हमारे शास्त्र कहते हैं कि स्त्री पर हाथ न उठाएं, स्त्री को गाली नहीं देनी चाहिए, किसी संत को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए, जो हमारी दृष्टि है कि हम संत को छोटा बड़ा समझते हैं। संत, साधु, ब्राह्मण, अग्नि को साधारण नहीं समझना चाहिए, क्योंकि अग्नि की एक चिंगारी ही सभी सामग्री को भस्म करने में सक्षम है, इसलिए संत को कभी भी साधारण नहीं समझना चाहिए। उन्होंने बताया कि भगवान का कहना है कि मन से उनमें दृष्टि लगाएं तो वे उनके पास नजर आएंगे। उन्होंने कहा कि पाप का फल दुख है, सभी पुण्य फल की इच्छा रखते हैं, मगर पुण्य कर्म नहीं करते। दुर्गुणों से बच कर बुद्धि को सत्कर्म में लगाएं तो जीवन सुखी और शांतिमय हो जाएगा। कथा पण्डाल में रामबरन पुजारी, विष्णु काकोरिया, शिवशंकर कटारे, जलज त्रिपाठी, नरसी दद्दा सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे।