बालिका के साथ बार-बार दुराचार करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास

विदिशा, 18 नवम्बर। द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो विदिशा सुश्री प्रतिष्ठा अवस्थी के न्यायालय ने अनुसूचित जाति की बालिका के साथ बार-बार गलत काम करने वाले आरोपी संतोष नामदेव उर्फ देवा को धारा 376(2)(एन) भादंवि में 10 वर्ष का सश्रम कारावास, पांच हजार रुपए अर्थदंड एवं 366 में सात वर्ष का सश्रम कारावास, दो हजार रुपए अर्थदंड, 3(2)(व्ही-ए) एससी/एसटी एक्ट में सात वर्ष व 3(2)(5) एससी/एससी एक्ट में आजीवन कारावास व पांच हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई। उक्त मामले में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्रीमती प्रतिभा गौतम ने की।
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी जिला विदिशा के अनुसार घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि 12 मार्च 2016 को सुबह करीब छह बजे जब फरियादी सो कर जागी तो उसने देखा कि उसकी लड़की (पीडि़ता) घर पर नहीं थी। उसने आस पड़ोस में पता किया लेकिन पीडि़ता का कोई पता नहीं चला। आरेापी संतोष नामदेव का फरियादिया के घर पूर्व से आना-जाना था। फरियादिया ने आरोपी के बारे में भी पता किया वह भी घर पर नहीं था। फरियादी को यह यह विश्वास था कि पीडि़ता को आरोपी संतोष नामदेव बहला फुसलाकर भगा कर ले गया है। फरियादिया की मां ने घटना की रिपोर्ट थाने कोतवाली में की थी। रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण विवेचना में लिया गया था। विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। न्यायालय द्वारा प्रकरण में आरोपी संतोष नामदेव उर्फ देवा को दोषसिद्ध पाते हुए आजीवन कारावास का कठोर कारावास से दण्डित किया है।