गाता गांव में चार महीने पानी की सप्लाई थप, बूंद-बूंद के लिए परेशान लोग

भिण्ड, 12 नवम्बर। मेहगांव क्षेत्र के गाता गांव में चार महीने से पानी की सप्लाई बंद है, ग्रामीण चार किमी दूर से पानी भरने के लिए परेशान हैं, लेकिन अधिकारियों की मनमानी से इस समस्या की और कोई ध्यान नहीं दे रहा है। आज से एक साल पहले नल-जल योजना के तहत गाता गांव में मीठे पानी का बोरवेल सहित नई पाइप बिछाना स्वीकृत हुआ था। जिसकी मंजूरी के बाद ठेकेदार ने 22 लाख की लागत से पाइप लाइन तो बिछा दी। लेकिन पीएचई विभाग की मनमानी से बोरवेल नहीं कराया गया, जिससे ग्रामीणों की समस्या जस की तस बनी हुई है।

यह है पूरा मामला

आज से लगभग दस साल पहले नल की मंजूरी हुई थी, जिसमें पाइप लाइन बिछाने के साथ साथ जो बोरवेल हुआ उसमे खारा पानी निकला, फिर अधिकारियों ने औपचारिकता करते हुए उसी खारे पानी की सप्लाई चालू कर दी, जिसे ग्रामीणों ने मजबूरन उस पानी का उपयोग करना पड़ा। खारे पानी की वजह से लोगों के मकान, कूलर आदि खराब होने लगे। ग्रामीणों को मांग पर एक साल पहले शासन ने नल-जल योजना के तहत फिर से नई पाइप लाइन व नया बोरवेल स्वीकृत करवाया, लेकिन पीएचई विभाग ने पाइप लाइन बिछाने के बाद फिर से उसी खारे पानी के बोरवेल में जोड़कर पूरी योजना पर लीपापोती करके चलते बने।

पीएचई विभाग की यहां है मुख्य लापरवाही

1- नई पाइप लाइन को पुराने खारे पानी के बोरवेल से जोड़ दिया, जिससे ग्रामीणों को समस्या जस की तस बनी हुई है, जबकि नया बोरवेल स्वीकृत है।
2- पाइप लाइन पूरी होने के बाद ना तो पंचायत के हेण्डओवर की, ना विभाग की तरफ से किसी कर्मचारी को नियुक्त किया। जिसके कारण चार महीने से नल बंद पड़े हुए हैं।

इनका कहना है-

कई पीढिय़ों से गांव के लोग पानी की समस्या से जूझते आ रहे हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही व मनमानी के कारण हमें नहीं लगता कि गांव की समस्या कभी खत्म होगी।
नीतेश शर्मा, ग्रामीण
हमारे क्षेत्रिय नेता भी हमारी मूलभूत समस्याओं की ओर ध्यान नहीं देते हैं, जबकि सभी जानते हैं कि गाता गांव में हमेशा से पानी की समस्या रही है। हमारी जन्मजात समस्या का निदान ही क्षेत्रीय नेता नहीं करेंगे तो अन्य समस्या की क्या आशा करें। आगामी चुनाव में हमें कुछ नया विचार करना पड़ेगा।
सतीश सिंह, ग्रामीण
क्षेत्रीय नेता चुनाव के समय आश्वासन तो दे जाते हैं, लेकिन फिर पीछे मुड़कर नहीं देखते, आगामी चुनाव में हमे कोई नया विकल्प देखना पड़ेगा।
रामरतन सिंह, ग्रामीण
इस गांव में खारे पानी की वजह से गांव में कई लड़के रह जाते हैं कंवारे, लड़की वाले देखने आते हैं और पानी की समस्या देख बापस लौट जाते हैं।
अजय सिंह, ग्रामीण