नया इंदौर नहीं, नया ग्वालियर बसाए मप्र सरकार

– राकेश अचल


मप्र सरकार प्रदेश के पुराने शहरों का उन्नयन करने के बजाय एक नया शहर बसाने जा रही है। जबकि चार दशक पहले प्रदेश में इसी तरह की एक महत्वाकांक्षी योजना पूरी तरह नाकाम हो चुकी है।
खबर है कि मप्र की यादव सरकार इंदौर सहित पांच जिलों को मिला कर एक नया शहर बनाने का सपना साकार करना चाती है। बनाए जा रहे इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन (आइएमआर) को सरकार ने मंजूरी दे दी है। अब उसे आकार देने का काम चल रहा है, जिसमें किस क्षेत्र में क्या विकसित किया जाएगा इस पर मंथन चल रहा है। ये फार्मूला तय हो गया है कि रीजन में 5 से 7 लाख आवादी के लिए सैटेलाइट टाउनशिप बनाई जाएगी। सर्वसुविधायुक्त आवास, मनोरंजन, स्कूल, अस्पताल, बाजार सहित सुविधाएं होंगी, ताकि लोग इंदौर या उज्जैन की तरफ न जाएं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार ने इंदौर के राजबाडा में हुई कैबिनेट में इंदौर और भोपाल के मेट्रोपॉलिटन रीजन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसके बाद रीजन की गतिविधियां तेज हो जाएंगी। इंदौर रीजन को लेकर आवासीय, औद्योगिक व पर्यावरण पर विशेष फोकस किया गया है। इंदौर रीजन के प्लान में इंदौर-उज्जैन और इंदौर-देवास के बीच नई सैटेलाइट टाउनशिप तैयार करने की योजना को आकार दिया जा रहा है। शुरुआत में एक, लेकिन रीजन में ऐसी पांच से सात टाउनशिप बनाने की संभावना रखी है।
मेट्रोपॉलिटन रीजन में इंदौर, उज्जैन, धार, देवास और शाजापुर की 29 तहसीलों के 1756 गांवों को मिलाकर इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन (आइएमआर) का प्लान तैयार किया गया है। कुल क्षेत्रफल 9336 वर्ग किमी होगा। सैटेलाइट टाउन को दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से जोडा गया है। बाद में रीजन को जोडने से अलग से सडकों का निर्माण किया जाएगा, जो इकोनॉमिक कॉरिडोर का काम करेंगी। इंदौर में एयरपोर्ट के विस्तार पर भी काम होगा तो उज्जैन व देवास में हवाई पट्टी रखी जाएगी। मेट्रो ट्रेन को भी रीजन में जोडने का प्रयास होगा, ताकि लोक परिवहन का ज्यादा उपयोग हो।
जिन जिलों के गांवों को जोडकर बनेगा एक शहर उनमें इंदौर जिले का 3901.6 वर्ग किमी क्षेत्र की तहसील- बिचौली हप्सी, देपालपुर, गहू, हातीद, इंदौर, कनाडिया, खुडैल मल्हारगंज, राऊ और सांवेर के 690 गांव लिए जाएंगे। उज्जैन जिले का 2740.5 वर्ग किमी क्षेत्र जिसमें तहसील- बडनगर, घट्टिया, खाचरौद, कोठी महल, नागदा, तराना, उज्जैन, उज्जैन नगर और उन्हेल के 512 गांव शामिल होंगे। इस परियोजना में देवास जिला के 444 गांव, धार के 107 गांव और शाजापुर जिला के 3 गांव शामिल होंगे।
मप्र सरकार अतीत में झांके बिना प्रदेश का एकांकी विकास कर दूसरे क्षेत्रों की अनदेखी कर रही है। प्रदेश में सबसे पहले नया शहर बनाने का सपना भाजपा नेता स्व. शीतला सहाय ने देखा था। उन्होंने केन्द्रीय राजधानी परियोजना के तहत ग्वालियर में नया ग्वालियर बसाने की योजना बनाई थी, जिसे बाद में कांग्रेस की सरकार बनने पर तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया ने आगे बढाया था। नए ग्वालियर की बसाहट के लिए मप्र सरकार ने विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण भी बनाया। इस प्राधिकरण ने ग्वालियर, मुरैना और भिण्ड जिले के सैकडों गांव शामिल किए और 750 वर्ग किलो मीटर क्षेत्र को इसमें शामिल किया गया। धडाधड जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई हुई और तिघरा क्षेत्र में नए ग्वालियर की बसाहट के लिए सडकों का जाल बिछा दिया गया। छह हजार भूखण्ड बेच दिए गए। एक हजार आवास बनाकर बेचने की कोशिश की गई।
नए ग्वालियर में बिजली, पानी की परियोजना पर पिछले 30 साल में करोडों रुपए खर्च कर दिए गए, लेकिन आज तक ये शहर बस नहीं पाया। बनाए गए मकान खण्डहर हो गए, सडकें बार-बार बनकर टूट गईं, लेकिन इस नए शहर में कोई कनेक्टिविटी न दे पाने की वजह से पूरी योजना फ्लॉप हो गई।
मजे की बात ये है कि नया ग्वालियर बसाने के लिए बनाया गया विशेष प्राधिकरण आज भी सफेद हाथी बना हुआ है। प्राधिकरण और काउंटर मेग्नेट सिटी के साथ 25 साल से केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता स्व. माधव राव सिंधिया का नाम भी बाबस्ता है, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इस परियोजना को लेकर मौन साध चुके हैं। बेहतर होता कि ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर में नया शहर बसाने की योजना का पुरजोर विरोध करते हुए नए ग्वालियर को बसाने की योजना के लिए लडते। लेकिन ऐसा हो नहीं सका, क्योंकि अब टाइगर मिमियाने लगा है।
प्रदेश में नया शहर बसाने के लिए मालवा क्षेत्र को चुने जाने से प्रदेश के विकास में असंतुलन पैदा हो जाएगा। बेहतर हो कि सरकार अपने इंदौर प्रेम पर काबू कर प्रदेश की पहली नया शहर योजना को पूरा करने का काम करे। ग्वालियर के जनप्रतिनिधियों को इस मुद्दे को प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाकर आगे आना चाहिए। अन्यथा ग्वालियर हमेशा की तरह विकास की मुख्यधारा में शामिल होने से वंचित रह जाएगा।