– राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का विजयदशमी पर शस्त्र पूजन एवं पथ संचलन कार्यक्रम संपन्न
भिण्ड, 12 अक्टूबर। समाज में नैतिक एवं सामाजिक कर्तव्यों की शिक्षा देते हुए राष्ट्र को परम वैभव की दिशा में ले जाने का कार्य राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ निरंतर कर रहा है। इस दिशा में कार्य करते-करते संघ अपने 99 वर्ष पूर्ण कर शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है। आज के उभरते भारत में विश्व योग दिवस, अयोध्या में श्रीराम मन्दिर, रक्षा के क्षेत्र में आधुनिक उपकरण मिसाइल एवं तेजस जैसे युद्ध विमानों की आपूर्ति हम कर रहे हैं। दिल्ली में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा की स्थापना के साथ-साथ आज भारत में प्रतिदिन हजारों किमी सडकों का निर्माण किया जा रहा है। कृषि के क्षेत्र में एवं स्वदेशी के क्षेत्र में हम नए-नए स्टार्टअप प्रारंभ कर रहे हैं, जिससे राष्ट्र भावना बोध के साथ-साथ हम स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ रहे हैं। आज हम हर क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करते हुए उभरते भारत की तस्वीर पेश कर रहे हैं। यह बात विजयदशमी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता धनराज जी ने अपने उदबोधन में कहीं।
मुख्य वक्ता ने कहा कि भारत विश्व का गुरू रहा है और रहेगा। इसे विश्व गुरू बनाने में हमारी भूमिका महत्वपूर्ण है, राष्ट्रवाद भारत की सबसे बडी ताकत है, हमारा धर्म ही राष्ट्रवाद है। आज विध्वंसकारी ताकत परास्त है और राष्ट्र एक नई दिशा में आगे बढ रहा है। जिन वैज्ञानिक तथ्यों को आज दुनिया अपनी उपलब्धि बताती है वह हमारे सनातन की मूल अवधारणा रही है। समाज में स्वभाव को भूलने वाले जो लोग थे उन्हें आत्म विस्मरण कराने का कार्य संघ कर रहा है। जिसका बिगुल आज ही के दिन 1925 में नागपुर में डॉ. हेडगेवार ने फूंका था। संघ ने समाज के प्रत्येक वर्ग को साथ लेकर काम किए हैं, और कर रहा है।
मुख्य वक्ता धनराज ने कहा कि संघ के शताब्दी वर्ष में पांच परिवर्तन आज समाज की जरूरत है, पंच परिवर्तन के अंतर्गत कुटुंब प्रबोधन, स्व की भावना (स्वदेशी, स्वभाषा, स्व वेशभूषा), सामाजिक समरसता, पर्यावरण जागरुकता एवं नागरिक शिष्टाचार एवं कर्तव्य है। हमें सामाजिक समरसता के क्षेत्र में कार्य करने की आवश्यकता है, हम विश्व के कल्याण की बात करने वाले लोग हैं। फिर हमारे बीच विभेद कैसा? आज विश्व में पर्यावरण दूषित है, हमारा हमारे देश में अनादिकाल से नदी जल, मिट्टी, पेड पौधे पर्वत की पूजा होती है। जिनकी हम पूजा करते हैं उन्हें हम नुकसान पहुंचाने का काम कभी नहीं कर सकते। नागरिक कर्तव्य में प्रत्येक व्यक्ति को हमारी संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास होना चाहिए, प्रत्येक नागरिक को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, इन पंच परिवर्तनों के माध्यम से ही भारत पुन: विश्व गुरू बन कर संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही शा. एमजेएस महाविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. सुधा नरवरिया ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अनेक सामाजिक कार्य लोगों को प्रेरणा देने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमें एकजुट रहते हुए एकता एवं अखण्डता के रास्ते पर चलना है। भारत भूमि हमारी मां है जिस भूमि पर हम पले बडे हैं उसकी रक्षा हमे माता के समान करनी चाहिए। शक्ति और शौर्य के प्रतीक विजयदशमी के इस उत्सव में हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम सत्य के मार्ग पर चलकर अपने जीवन को महान बनाने का कार्य करेंगे।
कार्यक्रम में सह विभाग संघचालक सुरेन्द्र चौहान, जिला संघ चालक रामशरण पुरोहित, नगर संघ चालक डॉ. शैलेन्द्र परिहार मंचासीन रहे। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा शस्त्रों का पूजन किया गया एवं विजयदशमी उत्सव के अवसर पर स्वयं सेवकों द्वारा पूर्ण गणवेश पहनकर हाथ में दण्ड लेकर घोष की स्वर लहरियों पर कदमताल करते हुए पथ संचलन में भाग लिया। नगर में पथ संचलन का अनेक स्थानों पर पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया।