भिण्ड, 12 अक्टूबर। शिक्षा विभाग में आए दिन भृष्टाचार अनियमितताएं तथा शिक्षा के गिरते स्तर से समाज में शिक्षकों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग चुकी है, जिससे समाज में शिक्षक भी अपना सम्मान खोते जा रहे हैं, शिक्षकों को प्रतिष्ठा और सम्मान पुन: पाने के लिए जिला परियोजना समन्वयक ने शिक्षकों के नाम एक पत्र जारी कर अपनी प्रतिष्ठा पाने के लिए शिक्षकों से अपील की है।
जिला परियोजना समन्वयक व्योमेश शर्मा ने पत्र में लिखा है कि आप राष्ट्र निर्माता है यह दर्जा आपको निश्चित ही आपके कठिन परिश्रम और ज्ञान से ही प्राप्त हुआ है, आपके ऊपर छात्र रूपी देश के भविष्य को गढने की महती जिम्मेदारी है और आपने इस जिम्मेदारी का निर्वहन बखूवी किया है, वर्तमान परिवेश में आपकी यह जिम्मेदारी और भी बढ जाती है। शासन की मंशानुसार अपने कर्तव्य के साथ-साथ छात्र हित के वर्तमान में निम्न कार्य भी पूर्ण करने का दायित्व सौंपा गया है। आपके विद्यालय के कैचमेंट एरिया के सभी बच्चों का विद्यालय में नामांकन होना, कोई भी बच्चा अप्रवेशी व शाला त्यागी न होना, तथा पोर्टल पर शत-प्रतिशत एंट्री होना। गणवेश (शिक्षा पोर्टल) पर सभी विद्यार्थियों का सत्यापन होना। सभी छात्र/ छात्राओं का नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक का वितरण एवं पोर्टल पर शत-प्रतिशत एंट्री होना। यू-डाइस पोर्टल पर तीनों मॉड्यूलों की एंट्री पूर्ण होना। कक्षा-3, 6 और 9 के विद्यार्थियों हेतु एनएएस 2024 का अभ्यास नियमित रूप से विद्यालयों में किया जाना तथा साप्ताहिक रूप से स्वयं सिद्धि स्विफ्ट चैट बोट पर प्रत्येक बच्चे द्वारा अभ्यास किया जाना। प्रत्येक माध्यमिक शिक्षक द्वारा अनिवार्य रूप से शासन योजना अनुरूप टैबलेट क्रय की कार्रवाई पूर्ण कर लेना। सभी पात्र विद्यार्थियों हेतु साइकिल सत्यापन का कार्य पूर्ण कर करना। मीनू अनुसार मध्यान्ह भोजन का वितरण किया जाना।
उक्त समस्त कार्य आपको अपने कर्तव्य के साथ-साथ पूर्ण भी कराने होते हैं और हमारे नौनिहाल जो कि देश का भविष्य हैं, उनमें विद्यालय के प्रति आकर्षण, चारित्रिक गुणों का विकास, सामाजिक हित में नेतृत्व की भावना, बहुआयामी विकास, नवाचारी सोच, स्वच्छता की भावना एवं स्वस्थ्य जीवन शैली, साथियों का सहयोग तथा बडों के प्रति आदर और सम्मान का भाव जैसे गुणों का विकास करने के लिए तथा 21 वी सदी के कौशलों के परिपूर्ण होने के लिए यह नितांत आवश्यक है कि हमारे विद्यालयों में कक्षा कक्ष का वातावरण भयमुक्त एवं आनंदमयी हो जिससे अधिगम प्रभावी हो सके। कक्षा एवं विद्यालय में निर्मित सकारात्मक वातावरण का प्रभाव विद्यार्थियों की उपस्थिति एवं अनके अधिगम पर परिलक्षित है। उन्होंने सभी साथियों से अपील करते हुए आगे लिखा कि नियमित, समय पावंद, पूर्ण निष्ठा एवं समर्पित भाव से अतिरिक्त प्रयास एवं स्थानीय परिस्थितियों के अनकूल नवाचार करते हुए सीमित संसाधनों में जिले की भावी पीढी को बेहतर शिक्षा हेतु प्रयास करें, आपके किए गए प्रयासों से समाज में शिक्षक की खोई हुई प्रतिष्ठा व सम्मान पुन: प्राप्त किया जा सकता है।
जिला परियोजना समन्वयक की पाती पर शिक्षक कितना खरा उतरेंगे ये तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन उनके पत्र से एक बात तो समझ में आती है कि जिले में शिक्षा और शिक्षा का स्तर वाकई में इतना अधिक गिर चुका है कि शिक्षकों को पुन: सम्मान पाने के लिए उनके अधिकारियों को पत्र लिखकर अपील करनी पड रही है।