भिण्ड, 05 अक्टूबर। आलमपुर कस्बे में गौंड बाबा मन्दिर पर आयोजित की जा रही भागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार को कथा व्यास रमाकांत खेमरिया ने कहा कि मनुष्य से गलती हो जाना बडी बात नहीं, लेकिन ऐसा होने पर समय रहते सुधार और प्रायश्चित जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो गलती पाप की श्रेणी में आ जाती है।
उन्होंने कहा कि राजा पारीक्षित कलयुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं और उसी के पश्चाताप में वह शुकदेव जी के पास जाते हैं। रमाकांत खेमरिया ने कहा कि भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है, जो जीवन में परेशानियों का उत्तम समाधान देती है, साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है। उन्होंने कहा कि द्वापर युग में धर्मराज युधिष्ठिर ने सूर्यदेव की उपासना कर अक्षय पात्र को प्राप्त किया। हमारे पूर्वजों ने सदैव पृथ्वी का पूजन व रक्षण किया है, इसके बदले प्रकृति ने मानव का रक्षण किया है। उन्होंने कहा कि भागवत के श्रोता के अंदर जिज्ञासा और श्रद्धा होनी चाहिए तभी भागवत का श्रवण करना फलीभूत होता है। अगर भागवत कथा श्रवण करने के दौरान श्रोता का मन बाहर सांसारिक संबंधों में लगा हुआ है, तो कथा श्रवण करने का कोई महत्व नहीं रह जाता।
उन्होंने कहा कि परमात्मा दिखाई नहीं देता है लेकिन वह हर किसी में बसता है। परमात्मा प्रत्येक जीव के अंदर है और इसका आभास समय-समय पर ईश्वर हमें करवाते भी रहते हैं। वहीं भागवत कथा के दूसरे दीन शनिवार को मेहरा धाम के महंत कमलेशपुरी महाराज श्रद्धालुओं के आशीर्वाद देने पहुंचे। भागवत कथा के मध्य में रमाकांत शास्त्री द्वारा कई भजन भी प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि भक्ति की उम्र नहीं होती, क्योंकि नन्ही सी उम्र में ही भक्त प्रहलाद ने अपने आप को हरि नाम में लीन कर लिया था। कथा के अंत में भगवान हरि की महा आरती की गई। भागवत कथा के दौरान परीक्षत अखिलेश शर्मा, पिंटू भगत, पुजारी राघौराम समाधिया समेत सैकडों श्रद्धालु मौजूद रहे।