भिण्ड, 04 अक्टूबर। आलमपुर में होल्कर राजवंश के शासनकाल में मल्हारराव होल्कर की पुत्रबधू देवी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा आलमपुर नगर में अनेक मन्दिरों का निर्माण कराया गया था। उन्हीं मन्दिरों में से एक प्राचीन हरिहरेश्वर बडी माता मन्दिर है। जो आलमपुर नगर के लोगों के बीच आस्था का केन्द्र बना हुआ है। लोगों की मान्यता है कि मातारानी के दरवार में जो भी भक्त सच्चे मन से मन्नत मांगने आता है, मातारानी उसकी हर मनोकामना पूरी करती है। लोग बताते हैं कि नगर में जब भी कोई विपदा आई तो मातारानी की कृपा से विपदा टल गई है।
आलमपुर नगर के लोगों में हरिहरेश्वर बडी माता के प्रति कितनी श्रद्धा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हरिहरेश्वर बडी माता मन्दिर पर पूरे 12 महिने सुबह-शाम दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। अनेक साधक साधना करने के लिए आते हैं। इसके अलावा मन्दिर पर कुछ न कुछ धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। अभी नवरात्रि के अवसर पर देखा जाए तो माता के दरवार में सुबह शाम दर्शनार्थियों की अपार भीड उमड रही है। सुबह जहां जल चढाने वाली महिलाओं की मन्दिर परिसर में कतार लगी हुई दिखाई देती है। तो वहीं शाम के समय मातारानी की आरती में सैकडों की तादाद में श्रद्धालुगण पहुंच रहे हैं। नवरात्रि के अवसर पर पंचमी के दिन शाम की आरती के दौरान मातारानी के दरवार में छप्पन भोग लगाया जाता है और फिर छप्पन भोग का प्रसाद दर्शनार्थियों को वितरण कर दिया जाता है। यह आयोजन नवरात्रि में पंचमी के दिन हर वर्ष आयोजित किया जाता है। आलमपुर नगर में स्थित प्राचीन हरिहरेश्वर बडी माता मन्दिर परिसर में मातारानी, शिवजी एवं हनुमानजी की अलौकिक प्रतिमाएं तो पहले से ही स्थापित है। लेकिन नगर के लोगों ने मन्दिर परिसर में नवीन मन्दिरों का निर्माण कराकर भगवान शंकर, अन्नपूर्णा, राधारानी सहित अन्य देवी-देवताओं की मनमोहक प्रतिमाएं स्थापित कराई गई हैं।
मन्दिर पर जीर्णोद्धार का कार्य निरंतर जारी
आलमपुर नगर में स्थित इस प्राचीन हरिहरेश्वर बडी माता मन्दिर पर जनसहयोग से जीर्णोद्धार का कार्य पिछले कुछ वर्षों से निरंतर जारी है। विगत वर्ष पहले जयपुर से मंगवाए गए लाल रंग के कांट-छांट एवं बेल-बूटेदार पत्थरों से कुशल कारीगरों द्वारा माता मन्दिर के बाहरी स्वरूप को आकर्षक रूप से सजाया गया था। अब इन्हीं लाल रंग के कांट-छांट व बेल-बूटेदार पत्थरों से मन्दिर परिसर में स्थित अन्य प्राचीन स्थलों को सजाने और संवारने के प्रयास किए जा रहे हैं।
रावण दहन व शिव विवाह का होता है आयोजन
प्राचीन हरिहरेश्वर बडी माता मन्दिर पर दशहरा के अवसर पर रावण दहन की परम्परा कई वर्षों से चली आ रही है। यहां जन सहयोग से रावण का विशाल पुतला बनाया जाता है और फिर ज्ञान वर्धन रामलीला समिति के कलाकारों द्वारा रामलीला का शानदार मंचन कर रावण के पुतले का दहन किया जाता है। तो वही हरिहरेश्वर मन्दिर पर पिछले कुछ वर्षों से महाशिवरात्रि पर शिव विवाह का भव्य कार्यक्रम भी आयोजित होने लगा है। इन दोनों कार्यक्रमों में हजारों की संख्या में नगर के नागरिक, महिलाएं व बच्चें शामिल होते हैं।