भिण्ड, 22 जुलाई। शासकीय महाविद्यालय मौ में आयोजित दो दिवसीय गुरू पूर्णिमा उत्सव के समापन कार्यक्रम में डॉ. विकास कुमार ने ‘भारतीय संस्कृति में योग दर्शन की सुदीर्घ परंपरा’ विषय के महत्व को प्रवर्तित किया।
इस अवसर पर डॉ. विकास कुमार ने कहा कि योग कर्मों में कुशलता है, योग और ध्यान के नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन होता है। ये अदभुत पद्धति दुनिया को भारत के ऋषयों की अमूल्य देन है। पतंजलि जो एक महान गुरू थे, उनके द्वारा प्राचीनकाल में अनुसंधान किया गया, यह दर्शन आज भी उपयोगी है। आज शिक्षकों और शोधार्थियों पर महर्षि पतंजलि की भांति नवोन्वेष करने का दायित्व आ पडा है, जिसे ईमानदारी से निभाना हमारा कर्तव्य है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. ईश्वर सिंह डावर ने कहा कि योगासन शरीर के लिए श्रेष्ठ व्यायाम है। छात्रों को योग, ध्यान और आसन का रोज करना चाहिए। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. पीयूष शर्मा, डॉ. अमित कुमार दुबे, डॉ. देशराज सिंह का ने सम्मान किया गया। इस अवसर पर शिवानी राठौर, शिल्पी ओझा, ब्रजेश जाटव, सुभाष जाटव, रजनी जाटव, कुनाल शिवहरे, हर्ष शर्मा विकास, संगम इत्यादि 23 विद्यार्थियों की सक्रिय सहभागिता रही।