मुद्दा नहीं आस्था का विषय था राम मन्दिर निर्माण, कार सेवकों में चरम पर था उत्साह

कारसेवा के जत्थे में घायल हुए नरेन्द्र पाल सिंह ने बताई चंबल पुल की घटना

भिण्ड, 21 जनवरी। अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराने को लेकर देश भर में उत्साह और जोश चरम पर था। राम लला के मन्दिर को बनाने के लिए खास और आम हर वर्ग के लोग जोश से भरे हुए थे। 1990 के कारसेवा आंदोलन में ग्वालियर-चंबल अंचल का खासा योगदान रहा, जिसमें यहां आंदोलन को गति देने के लिए बनाई गई गुप्त कमेटी और सक्रिय कमेटी के सदस्य अलग-अलग तरीके से अयोध्या जाने का प्रयास कर रहे थे। कारसेवा आंदोलन में ऐसे कई युवा किशोर जुडे थे जिनका नाम इतिहास में दर्ज भी नहीं हो सका। इन्हीं में से एक भिण्ड शहर का उत्साहित 17 वर्षीय नरेन्द्र पाल सिंह भी शामिल हुए, जिन्होंने चंबल पुल पर दीवार गिराने की घटना का आंखों देखा हाल बताया।
नरेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि उस समय बाबरी मस्जिद गिराने के लिए देशभर में विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल सहित बीजेपी के वरिष्ठ नेतृत्व द्वारा कारसेवा आंदोलन खडा किया था। छह दिसंबर 1990 का वह दिन बेहद महत्वपूर्ण था। भिण्ड शहर में आंदोलन में जुडकर अयोध्या जाने के लिए एक हजार लोगों का हुजूम मेला ग्राउण्ड में मौजूद था। आंदोलन से जुडे नरेन्द्र पाल सिंह भदौरिया जिन पर ग्वालियर-चंबल अंचल में युवाओं को आंदोलन से जोडने की जिम्मेदारी थी वह अगुवा बने हुए थे। मेला परिसर में उत्साहित कारसेवकों की 100-100 की संख्या में अलग अलग जत्थे बना कर रवाना किया जा रहा था। इस दौरान शहर के मंशापूर्ण हनुमान मन्दिर पर इटावा की ओर जाने वाले जत्थे का हिन्दू संगठन से जुडी महिलाओं द्वारा रोली से तिलक कर रवाना किया जा रहा था। कमल अरोडा, विनीता जैन, मैथली तिवारी सहित विभिन्न आधिकारिक पदाधिकारियों की घर से पहुंची महिलाएं उन उत्साहित कारसेवकों को जयश्रीराम के उदघोष के साथ रवाना कर रही थीं।
कारसेवा आंदोलन के प्रत्यक्षदर्शी नरेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि मप्र से यूपी जाने वाले चंबल पुल पर पुलिस छावनी बना दी गई थी, पुल के रास्ते में बीचों बीच ईंट की दीवार खडी कर दी गई, जिसे तत्कालीन यूपी में मुलायम सरकार द्वारा कारसेवकों को इटावा में घुसने से रोकने के लिए तैयार किया गया था। उस पार हथियारों से लैस यूपी पुलिस खडी थी। छावनी बनाए खडे पुलिस अधिकायिों द्वारा कारसेवकों को यूपी में न घुसने की चेतावनी दी जा रही थी। राम मन्दिर आंदोलन को लेकर उत्साह से लबरेज कारसेवक रुकने को तैयार नहीं थे। इस बीच सिर पर पगडी बांधे एक वृद्ध (वेशभूषा से राजस्थानी) हाथ में भारी लट्ठ लेकर दीवार के पास पहुंचे और उन्होंने दीवार पर वार करना शुरू कर दिया। इसके बाद कारसेवकों का हुजूम दीवार गिराने में जुट गया, तभी अचानक से यूपी पुलिस को फायर करने का आदेश दिया गया, जिसे देने वाला कोई और नहीं बल्कि उप्र के सीएम मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह खुद थे। उनकी मौजूदगी में पुलिस द्वारा पहले हवाई फायरिंग शुरू की, लेकिन भीड के काबू न होने पर यूपी पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले छोड दिए गए। फायरिंग और आंसू गैस के गोले गिराए जाने पर भी कारसेवकों का उत्साह कम नहीं हुआ और उन्होंने चंबल नदी के पानी से अपने कपडों को भिगो कर आंसू गैस के गोले वापस यूपी पुलिस की ओर फैंकना शुरू कर दिया। इस घटना के दौरान कई लोग चंबल नदी में गिरने से घायल भी हुए और कई को आंसू गैस के प्रभाव से दिखना बंद हो गया। इसके बाद आधा सैकडा लोगों को यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। कारसेवा आंदोलन से जुडे नरेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि अब जब रामलला का भव्य मन्दिर बन कर उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है तो उस आंदोलन की सार्थकता सिद्ध हो रही है।