जागरूकता ही एड्स से बचाव का सही तरीका

एचआईवी एड्स के प्रति जन जागरूकता हेतु बनाई मानव श्रृंखला

भिण्ड, 27 दिसम्बर। शा. महाविद्यालय मेहगांव की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने रेड रिबन क्लब द्वारा छात्र-छात्राओं में एचआईवी एड्स के प्रति जन जागरुकता हेतु मानव श्रृंखला बनाई एवं सुरक्षा उपाय का लो संकल्प एड्स की बीमारी को रोकने का यही विकल्प, डरना नहीं समझना होगा तभी एड्स से बचना होगा, आदि नारे लगाकर बचाव का संदेश दिया।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आरके डबरिया एवं एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. गिरिजा नरवरिया ने बच्चों को जागरुक करते हुए बताया कि एड्स का पूर्ण रूप से उपचार अभी तक संभव नहीं हो सका है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में एड्स की पहचान संभावित लक्षणों के दिखने के पश्चात ही हो पाती है। रोग रोकथाम एवं निवारण केन्द्र द्वारा एड्स के संभावित लक्षण बताए गए हैं। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित नहीं है, में एड्स के लक्षणों की जांच विशेष रक्त जांच के आधार पर की जा सकती है। एचआईवी संक्रमण का यह अर्थ नहीं है कि वह व्यक्ति एड्स से भी पीडित हो। एड्स के लक्षण दिखने में आठ से दस वर्ष का समय लग सकता है। एड्स की पुष्टि चिकित्सकों द्वारा जांच के पश्चात ही की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि एचआईवी संक्रमण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को इस हद तक कमजोर कर देता है कि इसके बाद शरीर अन्य संक्रमणों से लड पाने में असमर्थ हो जाता है। इस प्रकार के संक्रमण को अवसरवादी संक्रमण कहा जाता है, क्योंकि यह अवसर का फायदा उठाकर कमजोर हो रहे मानव की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हावी हो जाता है, जो बाद में धीरे-धीरे एक बीमारी का रूप धारण कर लेता है। एड्स जागरूकता अभियानों का एक ही उद्देश्य है कि एड्स से प्रभावित व्यक्ति को समाज में सम्मान देना चाहिए न कि उसको हीन भावना के दृष्टि से उसके साथ भेदभाव करना चाहिए। यह कोरोना की तरह छुआछूत का रोग नहीं है। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त स्टाफ का सहयोग रहा। मानव श्रृंखला में एनएसएस की 25 छात्राओं ने सहभागिता की।