अच्छी खबरों पर बुरी खबरों का साया

– राकेश अचल


देश में अक्सर अच्छी खबरों को जगह नहीं मिलतीं। बुरी खबरें सुर्खियों में रहती हैं। इसीलिए मै हमेशा से कहता हूं कि अच्छी खबरों को बुरी खबरों की ‘बुरी नजर’ से बचाइए। इजराइल-फिलिस्तीन के युद्ध और भारत में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों ने दो अच्छी खबरों को सुर्खी बनने से रोक दिया, हालांकि अच्छी खबरें अपनी अच्छे की वजह से लोगों के दिलों-दिमाग पर छाई रहती हैं। पहली अच्छी खबर थी कि भारत ने क्रिकेट में पकिस्तान को आठवीं बार धुल चटकार विश्वकप हासिल कर लिया। दूसरी अच्छी खबर ये है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लिखी कविता इस बार पूरे गुजरात में गरबो/ गीत के रूप में लोगों को नचाएगी।
देश को अक्सर शिकायत रहती है कि प्रधानमंत्री जी ने पहले प्रधानमंत्री की तरह ‘डिस्कवरी आफ इंडिया’ जैसी कोई किताब नहीं लिखी। ऐसे लोगों को मैं बताना चाहता हूं कि भारत में किताब लिखना प्रधानमंत्री बनने की कोई अनिवार्य शर्त नहीं है। नेहरू जी को लिखना-पढना आता था, भाता था, सो उन्होंने किताब लिख दी। मोदी जी को लिखना-पढना दोनों आता हैं, लेकिन उनकी दिलचस्पी फालतू के कामों में नहीं है सो उन्होंने किताब नहीं लिखी। मोदी जी इतिहास लिखते हैं, वो भी कागज पर नहीं बल्कि अपने देवतुल्य पार्टी कार्यकर्ताओं के दिल पर। ये काम वे भली भांति कर रहे हैं और यही सब करते हुए उन्होंने कविता भी लिखी, जो आज पूरे गुजरात में गूंज रही है। वैसे मोदी जी कविताएं नहीं लिख रहे तो क्या हुआ? वे देश का भाग्य लिखने में व्यस्त हैं।
मोदी जी की विशेषताओं के बारे में उन्हीं के गोदी मीडिया ने न्याय नहीं किया। उन्हें पढा-लिखा बताने के बजाय विदूषक बताने की कोशिश की गई। मैं इसके बिल्कुल खिलाफ हूं। भारत की क्रिकेट टीम ने जैसे पाकिस्तान को हराकर आठवीं बार विश्वकप जीता है, उसी तरह मोदी जी ने दो बार आम चुनाव जीता। जी-20 का कामयाब सम्मेलन कराकर दुनिया का दिल जीता। मोदी जी मेरी नजर में दिल जीतने वाले चीते हैं। उनका सम्मान किया जाना चाहिए। जो उनका सम्मान नहीं करते वे सब राष्ट्रद्रोही हैं।
मोदी जी में देवीय शक्तियां ही नहीं, देवीय प्रतिभाएं भी हैं। जैसे उन्होंने गरबा गीत वर्षों पहले लिखा था। लेकिन अपनी इस प्रतिभा को वे छिपाये रहे। ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने वर्षों तक दुनिया से अपने विवाहित होने और बाद में रणछोढ होने की खबर छिपाई थी। उन्हें छिपाने का बहुत शौक है, वे अपनी डिग्रियों को भी वर्षों तक छिपाए रहे। ये तो बात जब अदालत तक पहुंची तब कहीं जाकर देश को पता चला कि मोदी जी के पास एन्टायर पॉलिटिक्स की डिग्री भी है। मोदी जी जितना छिपाना जानते हैं, उतना ही उनका डंका बजाना भी जानते है। पूरे विश्व में आज भारत का डंका बज रहा है। अब आपको सुनाई नहीं देता तो कोई क्या करे? मोदी जी को डंके के अलावा ताली, थाली, डमरू और शंख बजाना भी खूब आता है। नेहरू जी को किसी ने डंका, शंख, डमरू, ताली, थाली बजाते या बजवाते देखा है। डंका बजाना मोदी जी की सौम्यता व्यक्तिगत प्रतिभा है, लेकिन बजवाना उस्ताद होने का प्रमाण। मोदी जी इस लिहाज से उस्ताद हुए। मान गए उस्ताद!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार 14 अक्टूबर को उनके सालों पहले लिखे गए एक गरबा को गायिका ध्वनि भानुशाली और तनिष्क बागची ने आवाज दी है। पीएम ने इसके लिए ध्वनि, तनिष्क और उनकी म्यूजिक की टीम का शुक्रिया अदा किया। साथ ही लिखा कि मैंने पिछले कुछ दिनों में एक नया गरबा लिखा है और इसे नवरात्रि के दौरान शेयर करूंगा। मोदी ने सोशल मीडिया मंच पर एक पोस्ट में लिखा, वर्षों पहले मेरे लिखे एक गरबा की इस प्यारी संगीतमय प्रस्तुति के लिए ध्वनि भानुशाली, तनिष्क बागची और जेजस्ट म्यूजिक की टीम आपको धन्यवाद। इसने मेरी यादों को ताजा कर दिया।
मोदी जी के नाम में भी जादू है। उनके नाम पार बने स्टेडियम में भारत ने पाकिस्तान को हराकर क्रिकेट का विश्वकप जीता। यही मैच यदि फिरोज शाह कोटला मैदान में हुआ होता तो शायद ये जीत हासिल न होती। इस स्टेडियम में जैसे नारे लगे वैसे आपको कहीं सुनने को नहीं मिल सकते। मेरे ख्याल से जिस तरह से मोदी जी और उनकी सरकार ने नारियों की शक्ति की वंदना कानों बनाने के लिए संसद का विशेष सत्र आहूत किया था उसी तरह क्रिकेटरों की शक्ति का सम्मान करने के लिए संसद का विशेष सत्र आहूत किया जाए, भले ही कानून न बनाया जाए। क्योंकि पाकिस्तान को रोंदना, विश्वकप जीतना भारतीय क्रिकेट टीम की कम भारत की और भारत के प्रधानमंत्री जी की निजी जीत है। हमारे प्रधानमंत्री जी यदि प्रधानमंत्री न बने होते तो आप तय मानिये कि वे देश के लिए खेलने वाले सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर या गरबा राइटर होते। देश उनके ऊपर नाज करता है। कर ही रहा है।
भारत के अनेक प्रधानमंत्री कला प्रेमी रहे हैं। वीपी सिंह तस्वीरें बनाते थे, कविताएं लिखते थे, अटल बिहारी बाजपेयी जी को भी कविताएं लिखने का शौक था। उन्होंने अपना तखल्लुस ‘कैदी कविराय’ रखा था। उनकी कविताएं भी मोदी जी के गरबे की तरह गाईं और सराही गईं। कैदी कविराय जी के साथ मंच साझा करने का नसीब तो अपने राम को भी मिला था। डॉ. मनमोहन सिंह में ये प्रकृति प्रदत्त प्रतिभा नहीं थी। पीव्ही नरसिम्हा राव अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे, किन्तु कविताएं उन्होंने भी नहीं लिखीं। ‘कविता लिखना उतना आसान भी नहीं जितना की सुबह-सुबह सूरज का उगना।’ मोदी जी कविता लिखने का कठिन काम करते थे। मुमकिन है कि जब उन्हें 18 घण्टे काम करने की चौकीदारी से फुर्सत मिले तो वे स्वयं कविताएं लिखने बैठ जाएं। अब ये देश की जनता के ऊपर है कि वो मोदी जी को अवकाश देती है या नहीं?
मुझे कभी-कभी लगता है कि मोदी जी को इजराइल जाना चाहिए था। वे अब तक इजराइल क्यों नहीं गए, जबकि इजराइल के पंत प्रधान मोदी जी के निजी मित्र हैं। वे संकट में हैं। उन्हें दुनिया के समर्थन की जरूरत है, मोदी जी जब अपने मित्र डोनाल्ड ट्रम्प के लिए मदद करने अमेरिका जा सकते हैं तो क्या इजराइल नहीं जा सकते? जा सकते हैं। उन्हें जाना चाहिए? इजराइल न जाकर उनका यश बढेगा ही, कम तो बिल्कुल नहीं, मोदी जी की उदारता है जो वे भारत में इजराइल के खिलाफ जुलूस निकालने दे रहे हैं। वे लोकतंत्र में यकीन रखते हैं, लेकिन उनका यकीन मैदानों में ही फलता-फूलता नजर आ रहा है। मोदी जी को लोकतंत्र विरोधी कहने वाले नादान हैं।
ये है मोदी का लिखा गरबा
गाय तेनो गरबो ने झीले तेनो गारबो, गरबो गुजरात नी गरवी मिरात छे।
घूमे तेनो गरबो तो झूमे तेनो गरबो, गरबो गुजरात नी गरवी मिरात छे।
सूर्य चंद्र गरबो ने ट्रैक्टुओ पैन गरबो, गरबो गुजरात नी गरवी मिरात छे।
्रतंदु डोलावे ने, मनादु जुमावतो सवने रे गमतो गरबो रेडियारी रातो।
मैं लगाय रेडियमनो रामतो ने भामतो गरबो… के घुमतो..
हे हया हा, हे हया हा, ओहू हू हू हू हू
दिवस पान गरबो ने रात पान गरबो
गरबो गुजरात नी गरवी मिरात छे। संस्कृति गरबो ने प्रकृति गरबो
वंसदि छे गरबो, मोरपींच गरबो गरबो मति छे, गरबो सहमती वीरनो ए गरबो, अमीरनो ए गरबो।
काया पान गरबो ने जीव पान गरबो, गरबो जीवन नि हलवी निरात छे।
गरबो सती छे ने गरबो गति छे गरबो नारी नी फूल नी बिछात छे।
तंदु डोलावे ने, मनादु जुमावतो सवने रे गमतो गरबो रेडियारी रातो मैं लगाय रेडियमनो रामतो ने भामतो गरबो… के घुमतो.. गरबो तो सत छे ने गरबो अक्षत छे गरबो माताजिनु कंकु रदियात छ।
अव्व मा गरबो, स्वभाव मा गरबो भक्ति चे गरबो, हां शक्ति चे गरबो।
बॉलिवुड एक्ट्रेस कंगना रनोट ने इस गरबा गीत के लिए पीएम मोदी की तारीफ करते हुए एक्स पर लिखा- कितना सुंदर है, चाहे अटल जी की कविताएं हों या नरेन्द्र मोदी जी के गाने और कहानियां कहने की बात हो। हमारे इन महान नायकों को कला में डूबे हुए देखकर खुशी होती है। नवरात्रि 2023 गरबा। सभी कलाकारों के लिए प्रेरणादायक।