अवैध रूप से गांजा रखने वाले आरोपी को एक वर्ष का कठोर कारावास

न्यायालय ने पांच हजार का जुर्माना भी लगाया

सागर, 03 अक्टूबर। विशेष न्यायाधीश (अंतर्गत धारा 36(1) स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर अब्दुल्लाह अहमद के न्यायालय ने घर में अवैध रूप से गांजा रखने वाले आरोपी गोकुल अहिरवार को दोषी करार देते हुए स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 की धारा 20(बी)(आईआई)(एन) के तहत एक वर्ष कठोर कारावास एवं पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक संजय कुमार पटैल ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि थाना सानौधा में पदस्थ निरीक्षक को 19 सितंबर 2019 को जरिए मुखबिर सूचना मिली कि ग्राम रगौली में आरोपी गोकुल अहिरवार अपने घर में अवैध रूप से गांजा रखे है, उसके पश्चात मुखबिर की सूचना एसडीओपी रहली को भेजी गई। सर्च वारंट प्राप्त होने पर विलंब को देखते हुए संपूर्ण तैयारी उपरांत आरोपी के घर पहुंचने पर वह अपने घर के दरवाजे पर खडा मिला, जिसका नाम पता पूछकर दस्तयाबी पंचनामा तैयार किया गया। आरोपी के घर की तलाशी लेने पर उसके घर से प्लास्टिक की बोरियां मिलीं, जिसमें एक पीले रंग की बोरी में गांजा जैसा पदार्थ मिला, जिसे सरसरी तौर पर भौतिक परीक्षण में सूंघ कर, रगड कर, जला कर, चख कर देखा गया तो गांजा होना पाया गया, जिसका पंचनामा बनाया गया। आरोपी से बरामद मादक पदार्थ का तौल करने पर कुल वजन तीन किलो 200 ग्राम होना पाया गया। अभियुक्त का कृत्य 8/20 एनडीपीएस एक्ट के तहत पाए जाने से उसेे गिरफ्तार किया गया। थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना सानौधा में धारा 8, सहपठित धारा 20(बी)(आईआई)(एन)  एनडीपीएस एक्ट 1985 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपी के विरुद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (अंतर्गत धारा 36(1) स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर अब्दुल्लाह अहमद की अदालत ने दोषी करार देते हुए आरोपी को उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।