सागर, 13 सितम्बर। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने बालिका के साथ छेडछाड करने वाले अभियुक्त मोहन यादव को दोषी करार देते हुए धारा 354 भादंवि के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई) व धारा 3(2)(व्ही-ए) (धारा-354 भादंसं के लिए) के तहत तीन-तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं एक-एक हजार रुपए जुर्मा की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
न्यायालय ने मामले पर टिप्पणी की है कि उक्त आपराधिक कृत्य से न केवल शारीरिक रूप से बालिका को क्षति कारित की गई, बल्कि उसके सम्मान और गरिमा को क्षति कारित कर उसके मन मस्तिष्क पर गहरा आधात पहुंचाया गया, बल्कि इस अपराध का प्रभाव संपूर्ण समाज पर पडता है।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (बालिका के पिता) ने थाना छानबीला में तीन दिसंबर 2020 को इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि दो दिसंबर को करीब छह बजे शाम को उसकी लडक़ी (पीडिता) शौच के लिए गई थी, करीब आधा घण्टा बाद शाम को जब बालिका रोते हुए घर आई तो उसने व उसकी पत्नी ने रोने का कारण पूछा तो उसने बताया कि अभियुक्त मोहन यादव बुरी नियत से उसका बांया हाथ पकडकर अपनी तरफ खींच रहा था और उसके साथ छेडखानी करने लगा। फिर बालिका हाथ छुडाकर भागी तथा पास में खडा एक व्यक्ति जब अभियुक्त मोहन यादव को पकडने दौडा तो वह भाग गया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना छानबीला पुलिस ने धारा 354 भादंसं, एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई) व 3(2)(व्ही-ए), धारा 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।