बच्चों के बीच नेत्रदान जागरुकता पखवाडे पर व्याख्यान आयोजित
ग्वालियर, 28 अगस्त। सक्षम संस्था ग्वालियर द्वारा प्रतिदिन समाजसेवी संस्था, इंस्टीट्यूट, कोचिंग, स्कूल एवं जहां युवा वर्ग की अधिकता है वहां नेत्रदान जागरुकता पखवाडे के ऊपर संवाद एवं व्याख्यान किया जाता है। इसी श्रृंखला में झुग्गी झोपडी एवं निम्न आय वर्ग के बच्चों के लिए चल रही नि:शुल्क सेवार्थ पाठशाला जो कि विवेकानंद नीडम के पास पुल के नीचे पहली क्लास से लेकर 12वीं तक के बच्चों को शिक्षित किया जाता है एवं उन बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोडने के लिए तरह-तरह के उपाय भी किए जाते हैं। सोमवार को सुबह सक्षम के सदस्यों द्वारा संस्था के अध्यक्ष प्रतिष्ठित नेत्र सर्जन डॉ. सुनील बुचके, ओपी दीक्षित, डॉ. मयंक श्रीवास्तव, नीरज सक्सेना, एवी जुवेकर, मोहनलाल अहिरवार, करीब आठ शिक्षक और 120 छात्र एवं अन्य सदस्यों की उपस्थिति में बच्चों से संवाद संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन भूतपूर्व सैनिक अधिकारी मनोज पाण्डे ने किया।
इस अवसर पर डॉ. बुचके ने अपने संबोधन में बच्चों को नेत्रदान, कॉर्निया एवं उससे जुडी भ्रांतियां के ऊपर सवाल जवाब के माध्यम से समझाया। उन्होंने बताया कि बच्चे कल का भविष्य हैं और किसी भी सरकार की नीति जो कि समाज के लिए उपयोगी है, उसमें जन जागरुकता बहुत ही आवश्यक है। नेत्रदान के संबंध में कुछ भ्रांतियां हैं उन भ्रांतियां से हटकर हमें साइंस के द्वारा सत्यता एवं जन उपयोगी कार्य करना चाहिए, आप किसी की यदि एक कॉर्निया दान करवाते हैं तो उससे तीन मरीजों को फायदा हो सकता है, कॉर्निया एक ऐसा शरीर के अंदर अंग है जिसे लैब में तैयार नहीं किया जा सकता है, वह किसी एक व्यक्ति के द्वारा किसी दूसरे, तीसरे, चौथे व्यक्ति को स्थानांतरित किया जा सकता है। हमें समाज में इसके प्रति जागरुकता होना अत्यंत आवश्यक है तथा नेत्रदान से संबंधित कुछ सावधानियां अत्यंत आवश्यक है। उनके ऊपर विस्तृत रूप से समझाया।
वहीं ओपी दीक्षित ने अपने उदबोधन में बताया कि समाज के विभिन्न अंगों के सहयोग से यह पाठशाला एवं इसकी अन्य शाखाएं विगत चार वर्ष से सुचारू रूप से चल रही हैं। यह बच्चे या तो शिक्षा से दूर हैं या लर्निंग गेप है, जिसे हम सभी लोग मिलकर दूर करने की कोशिश कर रहे हैं एवं जो बच्चे शिक्षा से वंचित हैं उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा में जोडने का प्रयास जारी है। नेत्रदान पखवाडे के आगे के कार्यक्रमों में ड्राइंग एवं क्विज प्रतियोगिता के माध्यम से सेवार्थ पाठशाला की अन्य शाखों में जो कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं, उनके बच्चों को एकत्रित करके जागरुक करने की कोशिश की जाएगी। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रगान हुआ।