बादल की कलम से
अमन पर्व आजादी का ये 76 वर्ष पुराना है।
अमर शहीदों की कुर्बानी का ये अमिट खजाना है।।
मंगल पाण्डे, लक्ष्मीबाई ने ना झुकाना स्वीकार किया।
चंद्रशेखर आजाद वीर ने देश पर बलिदान दिया।।
कुं. मदन सिंह और सावरकर जैसे अनुपम सेनानी।
फांसी के फंदे पर झूले, कई हुए यहां बलिदानी।।
अशफाक उल्ला खां, पंडित बिस्मिल शहीद हुए।
इस धरती पर हजारीलाल जैसे वीर सपूत हुए।।
राजगुरु, सुखदेव, भगत ने इंकलाब जब बोला था।
धानी धरती के वीरों ने तब रंगा बसंती चोला था।।
अंग्रेजों के क्रूर सितम से मुक्ति हमें दिलाई है।
मोहनदास गांधी के दम पर आजादी आई है।।
स्वतंत्रता दिवस मनाते हम, बलिदानों से पाया है।
नमन शहीदों को हम करते, देश आजाद कराया है।।
वंदे मातरम वंदे मातरम, भारत मां की जय बोलो।
अमर शहीदों की जय हो, जय जवान की जय बोलो।।
कवि किशोरीलाल जैन ‘बादल’ भिण्ड मप्र
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