भिण्ड, 13 अगस्त। लहार नगर के वार्ड क्र.13 राठौर पार्क में वीर दुर्गादास राठौर की 385वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। जिसमें राठौर समाज के अलावा नगर वासियों का हुजूम उमडा। जयंती की रैली महाराणा प्रताप चौराहे से नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए वीर दुर्गादास राठौर पार्क तक पहुंची, जहां एक भव्य सभा का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि अम्बरीश शर्मा गुड्डू मौजूद रहे। मंच पर मौजूद जिला पंचायत उपाध्यक्ष नंदराम बघेल ने सभा को संबोधित करते हुए वीर शिरोमणि के जीवन पर प्रकाश डाला। तो वहीं मण्डल अध्यक्ष भाजपा जबर सिंह कुशवाह ने राठौर समाज को देश की एक अहम कडी बताया।
मुख्य अतिथि अम्बरीश शर्मा गुड्डू ने कहा कि सबसे पहले मुझे राठौर समाज ने जो सम्मान दिया, मुझे वीर भूमि पार्क को नमन करने का मौका दिया, उसके लिए में सदैव समाज का आभारी रहूंगा। उन्होंने कहा कि अपनी जन्मभूमि मारवाड को मुगलो के आधिपत्य से मुक्त करने वाले वीर दुर्गादास राठौर का जन्म 13 अगस्त 1638 को ग्राम सावला हुआ था। दुर्गादास मारवाड के शासक महाराजा जसवंत सिंह के मंत्री आसकरण राठौड के पुत्र थे। उनकी मां अपने पति और उनकी अन्य पत्नियों के साथ नहीं रही और जोधपुर से दूर रहती थी। दुर्गादास का पालन पोषण लुनावा नामक गांव में हुआ। दुर्गादास सूर्यवंशी राठौड कुल के राजपूत थे। उनके पिता का नाम आसकरण सिंह राठौड था जो मारवाड (जोधपुर) के महाराजा जसवन्त सिंह (प्रथम) के राज्य की दुवा जागीर के जागीदार थे। दुर्गादास की माता अपने पति आसकरण से दूर सालवा जागीर के लूणवा (वर्तमान लूणावास) गांव में रहती थीं। बचपन में दुर्गादास का लालन पोषण इनकी माता नेतकुंवर ने ही किया और दुर्गादास स्वाभिमान और देशभक्ति के संस्कार कूट-कूट डाले।
उन्होंने वीर दुर्गादास के साथ सन 1655 में हुई घटना के बारे में बताया और कहा कि पिता आसकरण की भांति किशोर दुर्गादास में भी वीरता कूट- कूट कर भरी थी। सन 1655 की घटना है, जोधपुर राज्य की सेना के ऊंटों को चराते हुए राजकीय राईका (ऊंटों का चरवाहा) लुणावा में आसकरण के खेतों में घुस गए। किशोर दुर्गादास के विरोध करने पर भी उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया, वीर दुर्गादास का खून खोल उठा और तलवार निकाल कर त्वरित गति से उस राज राईका की गर्दन उडा दी। इस बात की सूचना महाराज जसवंत सिंह के पास पहुंची तो वे उस वीर को देखने के लिए उतावले हो उठे और अपने सैनिकों को दुर्गादास को लाने का आदेश दिया। दरबार में महाराज उस वीर की निर्भीकता देख अचंभित रह गए। दुर्गादास ने कहा कि मैंने अत्याचारी और दंभी राईका को मारा है, जो महाराज का भी सम्मान नहीं करता है और किसानों पर अत्याचार करता है। आसकरण ने अपने पुत्र को इतना बडा अपराध निर्भयता से स्वीकारते देखा तो वे किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए। परिचय पूछने पर महाराज को मालूम हुआ कि यह आसकरण का पुत्र है। घटना की वास्तविकता को जानकर महाराज ने दुर्गादास को अपने पास बुला कर पीठ थपथपाई और तलवार भेंट कर अपनी सेना में शामिल कर लिया।
इस मौके पर भाजपा नेता अम्बरीश शर्मा गुड्डू ने पौधारोपण किया एवं होनहार छात्र-छात्राओं को पुरस्कार वितरित किए साथ पार्क की बाउण्ड्री निर्माण के लिए 51 हजार रुपए की राशि समाज को प्रदान की एवं उनके उज्जवल भविष्य के लिए सुभकमनाएं दी। समस्त राठौर समाज ने अम्बरीश शर्मा का शॉल एवं श्रीफल देकर अविवादन किया। इस मौके पर नगर परिषद मेहगांव की अध्यक्ष कंचन-पिंटू राठौर, केशव राठौर, बदन सिंह राठौर, बाबूलाल टैगोर, बच्चू सिंह दउआ, पृथ्वीराज दउआ, बलिकराम भण्डा, अभिभाषक संघ अध्यक्ष विकाश विरथरे, नाथूराम फौजी, रघुवीर राठौर, नरेश फौजी, सुभाष राठौर एडवोकेट, अशोक राठौर, राधेश्याम राठौर, सुरेन्द्र राठौर लला, शंकर राठौर, रवि राठौर एवं राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौर समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र राठौर, उपाध्यक्ष अनंतराम राठौर, श्रीप्रसाद राठौर, संयोजक राजू राठौर, युवा अध्यक्ष अप्पे राठौर एवं सैकडों लोग उपस्थित रहे।