बयनामा पास कराने एवं प्रधानमंत्री सम्मान निधि की राशि का भुगतान कराने की ऐवज में ली थी रिश्वत
न्यायालय ने दस हजार का अर्थदण्ड भी लगाया
सागर, 11 अगस्त। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) सागर आलोक मिश्रा की अदालत ने बयनामा पास कराने एवं प्रधानमंत्री सम्मान निधि की राशि का भुगतान कराने की ऐवज में रिश्वत लेने वाले पटवारी रामराज चौधरी को दोषी करार देते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 के अंतर्गत चार वर्ष सश्रम कारावास एवं दस हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्याम नेमा ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि नौ सितंबर 2019 को आवेदक धर्मेन्द्र चौरसिया ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय सागर को संबोधित एक हस्तलिखित शिकायती आवेदन इस आशय का दिया कि हल्का सहजपुर मौजा समनापुर में उसकी पत्नी बबीता चौरसिया के नाम पर भूमि दर्ज है। उक्त भूमि का बयनामा/ विक्रय पत्र पास करवाने, बंदी (भू-अधिकार एवं ऋण अधिकार पुस्तिका) बनवाने तथा उसकी व उसके पिता हीरालाल की भूमि की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशि डलवाने (भुगतान करवाने) के ऐवज में अभियुक्त पटवारी रामराज चौधरी ने प्रत्येक कार्य के करवाने के दो हजार के मान से कुल छह हजार रुपए रिश्वत की मांग की है, उसने घर आकर जब अपने पिता व पत्नी को बताया तो उन्होंने पटवारी को रिश्वत देने से से मना किया व लोकायुक्त कार्यालय सागर में लिखित शिकायत करने की सहमति दी है। वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रंगे हाथों पकडवाना चाहता है, अत: कार्रवाई की जाए। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विपुस्था सागर ने उक्त आवेदन पर अग्रिम कार्रवाई हेतु निरीक्षक अभिषेक वर्मा को अधिकृत किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकार्डर दिया गया, इसके संचालन का तरीका बताकर अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया। तत्पश्चात आवेदक द्वारा मांग वार्ता रिकॉर्ड की गई एवं अन्य तकनीकि कार्रवाईयां की गई एवं ट्रेप कार्रवाई आयोजित की गई। नियत दिनांक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राशि दी गई व आवेदक का इशारा मिलने पर ट्रेपदल के सदस्य मौके पर पहुंचे और दल का परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत, उससे रिश्वत राशि के संबंध में पूछा, तो अभियुक्त ने छह हजार रुपए रिश्वत राशि आवेदक से अपने हाथ में लेकर अपने साथ में ली हुई पॉलीथिन मेें रख लेना बताया। तत्पश्चात अग्रिम कार्रवाई प्रारंभ की गई। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 एवं धारा 13(1)(डी), सहपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) सागर आलोक मिश्रा के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।