भाषा के विकास में रचनाकार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण : निराला

हिन्दी उत्थान समिति हाथरस का हिन्दी दिवस समारोह आयोजित

हाथरस, 15 सितम्बर। भाषा के विकास में रचनाकार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। प्रत्येक रचनाकार का दायित्व है कि वह लिखने के पहले पढऩे की आदत विकसित करे। अध्ययन का दायरा जितना विस्तृत होगा रचना धर्मिता में उतनी ही गहराईयां आती चली जाएगीं। जब तक हम पढ़ेंगे नहीं, समझेंगे नहीं तब तक उत्कृष्ट साहित्य का सृजन कोरी कल्पना मात्र ही है। हिन्दी के जितने भी मनीषियों हुए हैं, अन्य भाषा के जो भी मनीषी हुए हैं उनका अध्ययन विस्तृत था। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस को वैश्विक प्रसिद्धि इसलिए प्राप्त हुई कि उन्होंने अपने पूर्ववर्ती साहित्य का गहन अध्ययन किया। यह बात हिन्दी उत्थान समिति हाथरस उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित हिन्दी दिवस पर वैचारिक संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला ने कही।


डॉ. देवेन्द्र दीक्षित शूल ने कहा कि हिन्दी अत्यंत समृद्धशाली तथा वैज्ञानिक भाषा है। इसमें जो बोला जाता है वही लिखा जाता है। इस तरह की विशेषता विश्व की अन्य किसी भी भाषा में नहीं है। वैचारिक संगोष्ठी के उपरांत अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसका संचालन कार्यक्रम के संयोजक तथा हिन्दी उत्थान समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र दीक्षित एडवोकेट ने किया। कवि सम्मेलन में डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला के साथ-साथ वेदप्रकाश मणि अलीगढ़, जयकुमार जय भरतपुर, सबरसमुरसानी मुरसान, गाफिल स्वामी इगलास, गीता सिंह गीत तथा देवेन्द्र सिसोदिया ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य आनंद प्रकाश पाठक ने की। वरिष्ठ समाजसेवी तथा युवा भाजपा नेता मुकेश चौहान मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन थे। अति विशिष्ट अतिथि के रूप में इंग्लैंड से पधारी साध्वी जया जय मंचासीन रहीं।