भिण्ड, 02 जुलाई। माता-पिता और गुरू का हमारे जीवन में सर्वोच्च स्थान होता है। अषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा महोत्सव बडे ही श्रृद्धाभाव से हम मानते हैं। क्योंकि हिन्दू धर्म के प्रथम विद्वान और आदि गुरू महर्षि वेद व्यास का जन्म अषाढ़ पूर्णिमा को ही हुआ था, उन्हीं के सम्मान में अषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। गुरू पूर्णिमा के दिन हमें अपने गुरू के साक्षात् दर्शन अवश्य करने चाहिए। गुरू दर्शन से हमे एक साल के लिए ऊर्जा प्राप्ति होती है। यह बात दंदरौआ धाम के महंत महामण्डलेश्वर 1008 रामदास महाराज ने कहीं।
उन्होंने बताया कि तीन जुलाई सोमवार को गुरू पूर्णिमा पर मन्दिर में फूल बंगला सजेगा और पूरे परिसर को फूलों से सजाया जाएगा। गुरू पूर्णिमा महोत्सव की स्थानीय भक्तों और सेवादारों ने तैयारियों को लगभग पूरा कर लिया है। सोमवार को गुरु पूर्णिमा को डॉक्टर हनुमानजी का सर्वप्रथम रूद्राभिषेक किया जाएगा। फिर विशेष पूजन के साथ हवन और सुंदर काण्ड का पाठ होगा। तत्पश्चात विशाल भण्डारे का आयोजन किया जाएगा। गुरू पूर्णिमा महोत्सव मनाने देश के कई जिलों से लगभग एक लाख से अधिक श्रृद्धालु दंदरौआ धाम पहुचेंगे। जिनकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए जिले से अतिरिक्त पुलिस बल तैनात रहेगा। निजी वाहनों से आने वाले श्रृद्धालुओं के वाहनों के लिए मन्दिर के पीछे तथा चिरोल मार्ग पर स्थित मैदान में वाहन पार्किंग की व्यवस्था की गई है।