सागर, 09 मई। विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीश जिला सागर श्रीमती ज्योति मिश्रा की अदालत ने माता-पिता एवं छोटे भाई की नृशंस हत्या करने वाले अपचारी बालक को दोषी करार देते हुए प्रत्येक हत्या के लिए धारा 302 भादंवि के तहत तिहरा आजीवन कारावास एवं धारा 201 के तहत सात वर्ष के कारावास एवं जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार पटैल ने की।
जिला अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी एडीपीओ सौरभ डिम्हा ने प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि फरियादी नेे थाना मकरोनिया में रिपोर्ट लेख कराई कि मैं ख्ेाती किसानी का काम करता हूं, हम पांच भाई हैं, सबसे छोटा मैं हूं। भैया अपनी पत्नी एवं दोनों बेटों के साथ थाना मकरोनिया के अंतर्गत स्वयं के मकान में रहते थे। वे दो वर्ष पूर्व शासकीय सेवा से रिटायर्ड हुए थे, वर्तमान में गार्ड की नौकरी करते थे। 27 जनवरी 2020 को रात करीब 9:30 से 10 बजे के बीच भैया के मोबाइल पर फोन लगाया तो फोन बंद था, फिर भाभी के मोबाईल पर लगाया तो वह भी बंद आया, फिर मैंने बड़े भतीजे (अपचारी बालक) के नंबर पर फोन लगाया, घण्टी जा रही थी लेकिन फोन नहीं उठ रहा था। मैं रातभर चिंता में रहा, फिर दूसरे दिन दोपहर 1:30 बजे मैं अपने भाई के घर सागर आया, घर में बाहर से ताला बंद था तो मैंने आस-पड़ोस में भैया-भाभी के बारे में जानकारी ली, जो उनके बारे में जानकारी नहीं मिली, फिर मैंने भाई के ऑफिस में पता किया तो पता चला कि तीन चार दिन से ऑफिस नहीं आए हैं। मैंने स्कूल में जहां बच्चे पढ़ते थे पता किया तो अपचारी बालक एवं मृतक भतीजा दोनों बच्चे स्कूल नहीं आए थे, फिर मैं वापिस भैया के घर पर आया, मैंने कमरे के बाहर की खिडक़ी का कांच खिसकाया तो अंदर से बहुत तेज दुर्गंध आ रही थी, मैंने तुरंत थाना जाकर पुलिस को सूचना दी। पुलिस के आने पर ताला तोडक़र अंदर गए तो जिस कमरे से दुर्गंध आ रही थी उसमें भी ताला लगा था, कमरे का ताला तोडऩे पर कमरे के अंदर देखा तो तीन शव जमीन पर कपड़े से ढके पड़े थे, कपड़ा हटाकर देखा तो शव मेरे भाई-भाभी और छोटा भतीजे के थे, कमरे में खून फैला हुआ है और कमरे से दुर्गंध आ रही थी, तीनों का शरीर व चेहरा नीला पड़ा हुआ था, तीनों के मुंह नाक से खून निकला हुआ था, तीनों के शवों को देखने पर व दुर्गध से ऐसा लग रहा था जैसे इनकी हत्या तीन-चार दिन पहले की गई हो। बड़ा भतीजा (अपचारी बालक) घर पर नहीं था और मोबाइल भी बंद कर लिया था। मुझे शंका है कि मेरे बड़े भतीजे (अपचारी बालक) ने ही बड़े भाई-भाभी एवं छोटे भतीजे की हत्या कारित करने की नियत से जहरीला पदार्थ खिलाकर हत्या कर दी है और घर के बाहर से ताला बंद कर कहीं भाग गया है। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान यह पाया गया कि मृतक के शव पर बंदूक की गोली के छर्रे लगने के घाव, मृतिका के गले में स्कार्फ लिपटा हुआ एवं बंदूक की गोली के छर्रे के घाव तथा मृतक लडक़े की गर्दन मरोडक़र हत्या का संदेह पाए जाने पर शवों का पीएम कराया गया। घटना स्थल के फोटाग्राफ खीचें गए तथा भौतिक साक्ष्य एकत्रित की गई, अपचारी बालक के फिंगर प्रिंट लिए गए, संदेह के आधार पर अपचारी बालक से पूछताछ की गई। पूछताछ में उसने घटना के संबंध में अपराध करना स्वीकार किया, अपचारी बालक से पूछताछ में उसके कब्जे से महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित की गई, साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना मकरोनिया में धारा 302, 201 भादंवि का अपराध अपचारी बालक के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान बाल-न्यायालय में पेश किया गया था, किंतु अपचारी द्वारा जघन्य अपराध किए जाने और घटना के समय अपचारी बालक की उम्र 16 वर्ष से अधिक एवं 18 वर्ष से कम होने के कारण किशोर न्याय अधिनियम के तहत विशेष न्यायाधीश पाक्सो के न्यायालय में प्रकरण प्राप्त होने पर अपचारी बालक के प्रकरण का विचारण किया गया। अभियोजन द्वारा 36 अभियोजन साक्षियों को परीक्षित कराया गया, 129 दस्तावेजों को प्रमाणित कराया गया एवं प्रकरण से संबंधित संपत्तियों को प्रस्तुत कर उन्हें न्यायालय में चिन्हित कराया गया। अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) एवं नवम अपर-सत्र न्यायाधीश श्रीमती ज्योति मिश्रा के न्यायालय ने अपचारी बालक को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।
उल्लेखनीय है कि प्रकरण में अपचारी बालक नाबालिग होने से बालक का नाम छुपाया गया है एवं मृतकगण एवं फरियादी बालक के सगे-संबंधी होने से बालक की पहचान उजागर न हो इस कारण से उनके नामों का उल्लेख नहीं किया गया है।