भगवान श्रीराम एवं श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर जमकर झूमे भक्त

कथावाचक विमल कृष्ण पाठक की भागवत कथा में उमड़े भक्त

भिण्ड, 06 मई। जब जीव छल कपट त्याग कर शरणागति भाव से पूर्ण रूप से परमात्मा के प्रति समर्पित हो जाता है, तो भगवान उसे अपना बना लेते हैं। यह उदगार श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन वृन्दावन धाम से पधारे आचार्य पं. विमल कृष्ण पाठक महाराज ने व्यक्त किए।
पं. विमल कृष्ण पाठक महाराज ने बलि वामन चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि बलि ने वामन ब्राह्मण का बड़ा सत्कार किया। ब्राह्मण सर्व वंदनीय और पूज्यनीय है। वगैर ब्राह्मण के हमारे जीवन में कोई संस्कार नहीं होता और यदि हम ब्राह्मणों के बगैर ही कोई संस्कार करते हैं तो वो हमें फलीभूत नहीं होता। ब्राह्मणों का सदा आदर सम्मान करना चाहिए। देवता मंत्रों के आधीन होते हैं, आज समाज में लोगों को जातिवाद का बड़ा ही चस्का है। हर जाति वाला व्यक्ति अपने को ही श्रेष्ठ मानता है। जब कि ब्राह्मण सदा समाज के हित के लिए ही कार्य करता है। शास्त्रों के मतानुसार ब्राह्मण ही श्राद्ध है। लेकिन ब्राह्मणों को भी इस बात का अभिमान नहीं करना चाहिए। परमात्मा ने यदि ब्राह्मण बनाया है तो हम जगत कल्याण के लिए सदा अग्रसर रहें।

उन्होंने रामकथा का वर्णन करते हुए बताया कि रामकथा सुनकर हम सच्चे मानव बनने का प्रयास करें, जिसके जीवन में मर्यादा, आदर्श, नम्रता, सहनशीलता हो वही सच्चा मानस है। प्रत्येक जीव के प्रति प्रेम और दया भाव ही इंसानियत है। उन्होंने दान की महिमा बताते हुए कहा कि कलियुग में जब तक लोग दान करते रहेंगे, तब तक धर्म टिका रहेगा, दान से ही धर्म की रक्षा धर्म का प्रचार-प्रसार होगा। हर व्यक्ति को अपनी क्षमतानुसार दान अवश्य करना चाहिए। दान से ही हमारे धन की कुछ होती है। दान से ही हम ईश्वर तक पहुंच सकते हैं। फिर भगवान श्रीराम एवं श्रीकृष्ण प्राकट्य की कथा सुनाई। धूमधाम से नंदोत्सव मनाया, साथ ही बधाई भजन- ‘नंदू जू के अंगना में बज रही आज बधाई’ गाकर भक्तों को आनंदित किया।