ग्राम मानहड़ में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा
भिण्ड, 23 अप्रैल। गोरमी क्षेत्र के ग्राम मानहड़ में राजा माधोसिंह के स्थान पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा में आचार्य कुंजबिहारी बरुआ ने कहा कि महाभारत युद्ध समाप्त हो गया, भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका के लिए अब जाने लगे, उसी समय अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया, वह अभिमन्यु की धर्मपत्नी उत्तरा का गर्भ नष्ट करना चाहता था, उत्तरा को लगा यदि हम संसारी लोगों के पास जाएंगे तो हमारे गर्भस्थ शिशु की रक्षा नहीं हो पाएगी, मुझे तो भगवान श्रीकृष्ण के शरण में ही जाना चाहिए, क्योंकि भगवान ही अपने शरण में आए हुए भक्तों की रक्षा करते हैं। जैसे ही उत्तरा ने भगवान को प्रणाम किया भगवान ने ब्रह्मास्त्र से उत्तरा और उसके गर्भस्थ शिशु की रक्षा की।
भागवताचार्य बरुआ ने कहा कि भगवान की बुआ कुंती इतनी बड़ी परम भक्त हैं यदि आज के लोगों से कहा जाए कि तुम वरदान मांग लो तो जाने क्या-क्या मांगेंगे पर कुंती से भगवान ने जब कहा कि बुआ आप मेरे से कुछ मांग लो, कुंती माता ने कहा यदि देना ही चाहते हो तो मुझे दुख दे दो, विपत्ति दे दो, ऐसी विपत्ति जो कभी मेरे से दूर न हो, भगवान ने कहा बुआ आपको क्या हो गया है, दुनिया वाले सुख मांगते हैंं, ऐश्वर्या मांगते हैं, आप दुख मांग रही हो। कुंती ने कहा कि प्रभु जब सुख आता है तो लोग आपको भूल जाते हैं, जब दुख आता है लोग आपको याद रखते हैं, इसलिए मुझे सुख नहीं दुख ही दीजिए। उन्होंने कहा कि पितामह भीष्म जैसा संसार में क्षत्रिय नहीं हो सकता, वह परम भागवत उनकी मृत्यु के समय भगवान भी खड़े हैं, पूरे भारतवर्ष के संत महात्मा खड़े हैं, ऐसे परम भागवत पितामह भीष्म को प्रणाम करते हैं। इस मौके पर कथा के परीक्षित रणछोड़ सिंह भदौरिया एवं सैकड़ों श्रृद्धालु कथा पण्डाल में मौजूद थे।