जीवन में सफल होना है तो ध्रुव के चरित्र का अनुशरण करें : शास्त्री

मानहड़ में पीपरा वाले सिद्धबाबा पर चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 31 मार्च। जीवन में यदि सफल होना है तो ध्रुव के चरित्र का अनुशरण करें। जीवन में ध्रुव के समान निश्चल और निर्भीक बनो, ध्रुव जी के पास राजपाट वैभव सब कुछ होते हुए भी निश्चल और निर्भीक से उन्होंने अपने जीवन को ईश्वर के प्रति समर्पित कर दिया था, उनका यही समर्पण भाव उनकी सफलता का मूल मंत्र बना। यह उद्गार कथा व्यास आचार्य वासुदेव शास्त्री ने ग्राम पंचायत मानहड़ में पीपरा वाले सिद्धबाबा पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए कही।
श्री शास्त्री ने कहा कि आज यदि हम भी सफल होना चाहते हैं तो हमें अपने जीवन में भी निश्चल बने रहना है। क्योंकि ईश्वर को सिर्फ निश्चल मन से ही प्राप्त किया जा सकता है। श्रीराम चरितमानस में बाबा गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि ‘निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा’ अर्थात यदि सफलता प्राप्त करनी है और ईश्वर को प्राप्त करना है तो हमें अपने मन को निर्मल स्वच्छ एवं भेदभाव रहित सभी विकारों से दूर रखना होगा। ईश्वर सदैव निश्चल प्रेम के वशीभूत होता है, ईश्वर के समीप चतुराई का कोई कार्य नहीं होता है। इस दौरान उन्होंने जड़ भरत की कथा का भी वर्णन करते हुए कहा कि जड़ भरत यद्यपि उसके नाम से जड़ प्रतीत होता है, जड़ का एक अर्थ मूल आधार भी होता है और जड़ भरत के जीवन का मूल आधार था ईश्वर की भक्ति, इसी को आधार मानकर उसने जीवन को सार्थक बनाया।

श्रीमद् भागवत कथा महापुराण की आरती कांग्रेस नेता राहुल भदौरिया ने की। कथा में पारीक्षत इन्द्र सिंह भदौरिया, गोपाल सिंह भदौरिया, डॉ. मनुसिंह भदौरिया, राजीव सिंह भदौरिया, केशव सिंह भदौरिया, मुकेश सिंह भदौरिया, सौरभ सिंह भदौरिया, गौरव सिंह भदौरिया, नीरज सिंह भदौरिया सहित सैकड़ों ग्रामीण श्रृद्धालुओं मौजूद रहे।