ऋषभ सत्संग भवन में हुए गणाचार्य पुष्पदंत सागर महाराज के प्रवचन
भिण्ड, 22 मार्च। भगवान महावीर ने उसे ही साधु कहा है जो उपासना आराधना करता है, जिसकी चर्चा व चर्या एक सी है, जो अपने लक्ष्य से भटक गए है, अपनी महिमा गरिमा अपना बजूद भूल अहम और वहम की जिन्दगी जी रहे है, उनके लिए महावीर और गुरुओं का सतसंग है। याद रखना मार्ग में गति अवरोधक उनके लिए लगाए जाते हैं जो गलत तरीके से गाड़ी चलाते हैं, जागो और अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानो, अपनी मेहनत की पुण्य कमाई को व्यर्थ मत गवाओ। यह विचार गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर महाराज ने बुधवार को ऋषभ सत्संग भवन में आनंद यात्रा के छटवे दिन श्रृद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
गणाचार्य श्री पुष्पदंत सागर महाराज के सत्संग से पूर्व उनके प्रिय शिष्य आचार्य श्री सौरभ सागर महाराज के संबोधन का भी लाभ श्रोताओं को मिला। उन्होंने भगवान महावीर के जीवन दर्शन से रूबरू कराते हुए जीवन उत्थान के अनेक सूत्र दिए और कहा कि अभी तक हम भक्ति योग मे जी रहे थे आज से योग बदल रहा है, आज विक्रम संवत नव वर्ष है, ज्ञान योग प्रारंभ हो रहा है, परिणामों की निर्मलता सार्थक जीवन की सच्ची उपलब्धि है, इसलिए सांसारिक उपलब्धि आने के बाद अपने आपको अहम के मल से बचाकर करुणा, दया, प्रेम के मरहम के माध्यम से जीवन जीना, ताकि आत्मा की निर्मलता दूषित ना हो।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीभगवान व गुरू भगवन के चित्र के समक्ष देहरादून, खजुराहो, इटावा आदि से आए श्रृद्धालुओं ने दीप प्रज्वलन किया व स्थानीय पाश्र्वनाथ महिला मण्डल ने गुरू पूजा की। कार्यक्रम का संचालन महामाया ने व आगंतुक अतिथियों का बहुमान प्रज्ञश्री संघ ने किया।