नाबालिगा से छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को तीन वर्ष का कारावास

सागर, 08 फरवरी। तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर सुश्री नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिगा के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी शिशुपाल घोषी निवासी अंतर्गत थाना बहेरिया को दोषी करार देते हुए धारा 354 भादंवि के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई) व 3(2)(व्ही-ए) अजा व जजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत तीन-तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500-500 रुपए अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है शिकायतकर्ता/ बालिका ने सात मार्च 2021 को थाना बहेरिया जिला सागर में रिपोर्ट लेख कराई कि छह मार्च 2021 को शाम के करीब चार बजे वह उसकी बड़ी मम्मी के घर से उसके घर जा रही थी, तभी रास्ते में उसे अभियुक्त शिशुपाल घोषी मिला और अभियुक्त ने उससे मोबाईल नंबर मांगा तथा वह उसके साथ छेड़छाड़ करते हुए वहां से चला गया। फिर सात मार्च 2021 को शाम 4.30 बजे जब वह उसकी बड़ी मम्मी के घर से उसके घर जा रही थी, तभी रास्ते में अभियुक्त शिशुपाल उसे मिला और अभियुक्त ने बुरी नियत से उसका दाहिना हाथ पकड़ लिया तथा वह बालिका एवं उसकी चचेरी बहन जो उसके साथ थी, से उसका मोबाईल नंबर मांगने लगा एवं मोबाईल नंबर न देने पर अभियुक्त ने उन्हें जान से मारने एवं उसके साथ कुछ भी करने की धमकी दी। डर के कारण उसने पहले किसी को कुछ नहीं बताया परंतु अभियुक्त द्वारा दूसरी बार घटना बुरी नियत से उसका हाथ पकड़ा तब उसने घटना की जानकारी उसके परिवारजन को दी। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेखबद्ध किए गए। घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया एवं अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना- बहेरिया द्वारा अभियुक्त शिशुपाल के विरुद्ध अपराध अंतर्गत धारा 354, 506 भादंसं, 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई), 3(2)(व्ही-ए) अजा व जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।