राजा मानसिंह तोमर के वास्तविक उत्तराधिकारी हैं नरेन्द्र सिंह तोमर


– सुबोध अग्निहोत्री-

शीर्षक अतिरंजित लग सकता है। लेकिन ऐसा सिर्फ हम नहीं कह रहे। यह बात लोगों के मुंह से निकल कर आ रही है। ऐसा इसलिए है कि राजा मान सिंह तोमर के ठीक (1486-1517) पांच सौ वर्षों बाद तोमर वंश में ग्वालियर के नरेन्द्र सिंह तोमर (केन्द्रीय कृषि मंत्री) ऐसे व्यक्ति हैं जो ग्वालियर चंबल संभाग के सर्वांगीण विकास के लिए कृत संकल्पित हैं। वे राजा मान सिंह तोमर के पांच शताब्दी बाद उनके अंशावतार के रूप में ग्वालियर की धरा पर अवतरित हैं। विकास कार्यों की श्रृंखला को देखा जाए तो लगेगा कि पूर्व व वर्तमान केन्द्रीय मंत्रियों द्वारा ग्वालियर चंबल संभाग में किए गए विकास कार्यों में नरेन्द्र सिंह तोमर बहुत आगे हैं। वे ग्वालियर के लिए विकास की गंगा लेकर आए हैं जिसके अवगाहन से हमारा नगर देश के उन महानगरों में सम्मिलित हो जाएगा जिन्हें विकास का पर्याय कहा जाता है।
इतिहास के मध्यकालीन युग में ग्वालियर अपनी उन्नति के शिखर पर रहा है। अपने वैभव, स्थापत्य, संगीत के अतिरिक्त धार्मिक सदभाव के लिए ग्वालियर जाना-पहिचाना जाता है। महाराजा मान सिंह तोमर इस महानगर के श्रेष्ठ शासकों में गिने जाते हैं। उनके समय में ग्वालियर दुर्ग पर निर्मित विश्व प्रसिद्ध भव्य गूजरी महल, मान मन्दिर उनकी कलात्मक अभिव्यक्ति का परिचायक है। ग्वालियर में जैन धर्म की स्थापना और उसका प्रसार तोमर वंश के काल की धार्मिक भावना का प्रतीक है। जैन धर्म के सरंक्षण में तोमर शासकों का योगदान विस्मृत नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि आज ग्वालियर में प्राचीन काल में स्थापित पुराने जैन मन्दिर में अतिशय क्षेत्रों का बाहुल्य है। तोमर क्षत्रिय वंश पर जैन धर्म के क्रिया कलापों का इतना विनम्र प्रभाव रहा है कि तोमरों को क्षत्रियों में संत स्वरूप माना गया है। आचार-व्यवहार, विचार और कर्म से सहिष्णुता, दयालुता और परोपकार के प्रतीक स्वरूप माने जाते हैं।
वर्तमान में तोमरों की वंशावली को उन्नतिशील बनाने में नरेन्द्र सिंह तोमर के योगदान को ग्वालियर वासी विस्मृत नहीं कर सकते। गंभीर व्यक्तित्व और गुरुता उनके व्यक्तित्व के विलक्षण तत्व हैं। सौम्यता के साथ शब्दों का चयन और प्रभावी निष्पत्ति उनका अलंकरण है। उत्तेजना उनके स्वभाव में नहीं है और विवादों से वे कोसों दूर रहते हैं।
राजवंश और लोकशाही के अंतर को समझते हुए हमें याद रखना चाहिये कि नरेन्द्र तोमर के कार्य ग्वालियर के लिए कम नहीं हैं। शिवपुरी लिंक रोड उनके कृतित्व का ऐसा उदाहरण है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। श्रीमंत माधव राव सिंधिया की भांति योजनाएं लाना और क्रियान्वित कराना तथा पूर्णता के शिखर पर ले जाना नरेन्द्र सिंह तोमर का शगल बन गया है। राजनीतिक चश्में और नजरिये से नरेन्द्र सिंह तोमर का मूल्यांकन करना बेमानी जो सकता है लेकिन उनके समर्पण भाव को देखिये कि किस तरह चिंता करते हैं। वस्तुत: नरेन्द्र सिंह तोमर भाजपा नेता के पहिले एक स्वयंसेवक हैं। संघ के कार्यकर्ता के अनुरूप ही उनका स्वभाव है। इसी कारण वे भाजपा के सबका साथ-सबके विकास की चिंता समय समय पर करते रहते हैं। भाजपा के कुशल और सर्वमान्य नेता तो वे हैं ही, साथ ही साथ उनके स्वभाव व कार्यशैली ने दूसरे दलों में भी स्वीकार्यता प्राप्त की है। वे ग्वालियर ही नहीं अपितु ग्वालियर-चंबल संभाग की प्रगति हेतु निरन्तर प्रयत्नशील और जागरूक रहते हैं। भिण्ड के गौरी सरोवर को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए भी पर्यटन विकास निगम में चर्चा कर चुके हैं।
हर विषय में चिंतन करने वाले नरेन्द्र सिंह तोमर भाजपा की उस शीर्ष पंक्ति के नेताओं में आते हैं जिनके ऊपर देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष बहुत विश्वास करते हैं। वे आत्मनिष्ठ नहीं बल्कि सर्वनिष्ठ हैं। प्रेरक नहीं, उत्प्रेरक हैं।