संघर्ष ईमानदार के प्रतीक थे ज्योति बसु : डॉ. नदीम

भाकपा ने मनाया पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु का स्मरण दिवस

भिण्ड, 17 जनवरी। भारतीय राजनीति में स्वाधीनता संग्राम सेनानी संघर्ष ईमानदार एवं लम्बे समय तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे ज्योति बसु भारतीय राजनीति के धु्रव में तारा हैं। भूमि सुधार कानून लागू कर भूमिहीन परिवारों को सबसे अधिक जमीन ज्योति बसु के शासन में वितरित की गई, देश में पश्चिम बंगाल ही एक मात्र राज्य है, जहां राज्य के वजट का आधा हिस्सा पंचायतों के हिस्से में जाता है। यह बात भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माक्र्सवादी के क्षेत्रीय सचिव डॉ. नदीम खान ने राजहोली भिण्ड में पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु के स्मरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम की अध्यक्ष शैलेन्द्र राजौरिया की।
डॉ. नदीम खान ने कहा कि 23 साल लगातार मुख्यमंत्री रहने के बाद भी ज्योति बसु के पास स्वयं का मकान नहीं था, कोलकाता का विगरेड विशाल मैदान दसियों बार बसू की लोकप्रियता के कारण जनसमूह द्वारा भरा गया, अन्य राजनैतिक दलों ने कभी नहीं भरा है, पार्टी के अनुशासन का इतना सम्मान करते थे, 1996 में संयुक्त मोर्चा ने उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया, लेकिन पार्टी ने अस्वीकार कर दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार किया था, 17 जनवरी 2010 को वह भौतिक शरीर से हमारे बीच से चले गए, उनकी विचारधारा हम लोगों का मार्गदर्शन हमेशा करती रहेगी।
सीटू जिलाध्यक्ष विनोद सुमन ने कहा कि पद और सत्ता के लिए नेता दल बदल रहे हैं, लेकिन माकपा नेता आज भी दल बदल से दूर हैं, वह बंगाल के मुख्यमंत्री काल में एक भी जातीय व धार्मिक दंगों नहीं हुए थे, आज बंगाल जल रहा है। बैठक में सीटू जिला उपाध्यक्ष अशोक शर्मा, रामनरेश कुशवाह, देविन्द्र प्रजापति, मुन्नालाल बाथम, इसाक खान, अभिषेक यादव, अनूप वर्मा, जनार्दन रेड्डी, अवधेश भदौरिया, गिर्राज चौधरी, गोपाल गुप्ता आदि उपस्थित रहे।