रिश्वतखोर लेखापाल को चार वर्ष एवं माली को तीन वर्ष का सश्रम कारावास

प्रसूति अवकाश के बिल पास करने के एवज में ली थी 500-500 रुपए की रिश्वत
न्यायालय ने आरोपियों पर पांच-पांच हजार का अर्थदण्ड भी लगाया

सागर, 07 जनवरी। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) सागर श्री आलोक मिश्रा के न्यायालय ने प्रसूति अवकाश के बिल पास करने के एवज में 500-500 रुपए की रिश्वत लेने वाले आरोपी इन्द्रकुमार जैन (लेखापाल) को दोषी करार देते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए अर्थदण्ड एवं धारा-13(1)(डी), सहपठित धारा 13(2) के तहत चार वर्ष सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए अर्थदण्ड एवं आरोपी दुर्जनलाल रजक (माली) को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-12 के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। उक्त मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजन अधिकारी श्याम नेमा ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि 28 दिसंबर 2015 को आवेदिका प्रभा टोटे एवं सीमा सोनी ने संयुक्त रूप से पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को लिखित शिकायत आवेदन इस आशय का दिया कि आदिम जाति कल्याण छात्रावास में रसोईया का कार्य करती हैै, उनकी कोई संतान न होने के कारण उन्होंने इंदौर स्थित मोहन अस्पताल से टेस्ट ट्यूब बेवी पद्धति द्वारा इलाज कराया, जिसके फलस्वरूप सीमा सोनी को एक पुत्री एवं प्रभा टोटे को तीन पुत्रियां एक साथ जन्मी थीं, उनका प्रसूति अवकाश का लगभग 17-17 हजार रुपए का भुगतान होना था, जिसके लिए बाबू इन्द्र कुमार जैन ने उनसे पैसे का बिल बनाने के लिए 500-500 रुपए की मांग की, वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहतीं, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहती हैं। इसलिए कार्रवाई किए जाने का निवेदन किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकार्डर दिया गया, इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकार्ड करने हेतु निर्देशित किया, तत्पश्चात आवेदिका द्वारा मांग वार्ता रिकार्ड की गई एवं तकनीकि कार्रवाईयां कर ट्रेप कार्रवाई आयोजित की गई, नियत दिनांक को आवेदिका द्वारा अभियुक्त को राशि दी गई व आवेदिका का इशारा मिलने पर ट्रेप दल के सदस्य मौके पर पहुंचे, जहां अभियुक्त इन्द्र कुमार जैन बैठा हुआ था, जिसे ट्रेप दल के सदस्यों ने चारों तरफ से घेर लिया एवं ट्रेप दल ने अपना परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत अभियुक्त से रिश्वत राशि के संबंध में पूछे जाने पर उसने रिश्वत राशि आवेदिकागण से लेकर विद्यालय में ही कार्य करने वाले माली सह-अभियुक्त दुर्जनलाल रजक को दे देना बताया और प्रकरण में अन्य विधिवत कार्रवाईयां की गई। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 एवं धारा-13(1)(डी), सपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी इन्द्र कुमार जैन एवं सह अभियुक्त दुर्जनलाल रजक के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-12 का अपराध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन ने साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित कर मामले को संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सागर श्री आलोक मिश्रा के न्यायालय ने आरोपीगण को उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।