अल्ट्रा साउण्ड मशीन से लिंग परीक्षण करने वाले आरोपी को दो वर्ष का कारावास

एक अन्य आरोपिया को एक वर्ष की सजा एवं अर्थदण्ड

ग्वालियर, 02 जनवरी। विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट जिला ग्वालियर श्री महेन्द्र सैनी के न्यायालय ने सरस्वती नगर थाटीपुर में अल्ट्रा साउण्ड मशीन द्वारा गर्भस्थ शिशु का लिंग परीक्षण करने वाले आरोपी कपिल पाण्डेय को धारा 3(1) व 18(1), सहपठित धारा 23(1) में एक वर्ष सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 6(ख), सहपठित धारा 23(1) में दो वर्ष सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 5(2), सहपठित धारा 23(1) में दो वर्ष सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 29(1) सहपठित धारा 23(1) में एक वर्ष सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए अर्थदण्ड एवं आरोपिया श्रीमती प्रियंका नरवरिया को धारा 6(ख), सहपठित धारा 23(1) में एक वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(3), सहपठित धारा 23(1) में एक वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है।
शासन की ओर से प्रकरण की पैरवी कर रहे अभियोजन अधिकारी अभिषेक सिरौठिया के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि कलेक्टर जिला ग्वालियर को गोपनीय सूचना मिली कि सरस्वती नगर यूनिवर्सिटी रोड थाटीपुर पर अल्ट्रा साउण्ड मशीन द्वारा गर्भस्थ शिशु का लिंग परीक्षण किया जाता है। तत्कालीन कलेक्टर ग्वालियर ने आरोपी को पकडऩे हेतु स्टिंग ऑपरेशन हेतु दल का गठन किया। जिसमें गर्भवती महिला द्वारा स्वेच्छा पूर्वक डिकोय विटनिस के रूप में शामिल होने हेतु सहमति प्रदान की। संपूर्ण कार्रवाई का पर्यवेक्षण तत्कालीन नायब तहसीलदार श्रीमती प्रतिभा डेगुला, सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास रामकुमार तिवारी, सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास राहुल पाठक द्वारा किया गया। डिकोय विटनिस द्वारा नर्स प्रियंका को 8500 रुपए प्रदान किए, इसके बाद गोपनीय कार्रवाई 22 अप्रैल 2014 को प्रारंभ कि गई। दल के सदस्य द्वारा गर्भवस्थ शिशु के लिंग परीक्षण हेतु 22 अप्रैल को संपर्क किया। नर्स प्रियंका ने बताया कि वह किसी डॉक्टर से लिंग परीक्षण करा सकती है और दो दिन बाद आने को कहा। इसके बाद 25 अप्रैल 2014 को सुबह 10:30 बजे मुरार थाने के पास नर्स प्रियंका ने डॉक्टर से बात कर उसे दो घण्टे के बाद मुरार थाने के पास मिलने को कहा। सूचना प्राप्त होने पर तहसीलदार श्रीमती प्रतिभा डेगुला को सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास रामकुमार तिवारी, सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास राहुल पाठक डिकोय विटनिस के साथ मौके पर पहुंचे जहां प्रियंका पूर्व से मैजूद थी। प्रियंका ने डिकोय से 8500 रुपए प्राप्त किए और एक अन्य व्यक्ति महिला डिकोय और महिला अधिकारी लक्ष्मी तोमर को सरस्वती नगर ले गए, जहां पर कपिल पाण्डेय नाम के व्यक्ति ने अल्ट्रासाण्उड मशीन से गर्भवती डिकोय के पेट का परीक्षण कर लिंग की पहचान कराई। स्टिंग पूर्ण होने पर थाटीपुर पेट्रोल पम्प के पास डिकोय एवं सहयोगी महिला अधिकारी की शिनाख्तगी के आधार पर दो लड़कों को हिरासत में लिया गया व उनसे मोबाइल व धनराशि जब्त की गई। इसके बाद दल के सदस्य लिंग परीक्षण करने वाले स्थान पर पहुंचे जहां डिकोय एवं सहयोगी अधिकारी ने बताया कि कपिल पाण्डेय ने ही अल्ट्रा साउण्ड मशीन से लिंग परीक्षण किया है, इसके बाद जिला मजिस्ट्रेट के निर्देश पर डॉ. प्रभात कौशल प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा डॉ. बिन्दु सिंघल जिला कुष्ट अधिकारी एवं नॉडल अधिकारी भी मौके पर पहुंचे, जांच दल द्वारा सूक्ष्म रूप से जांच प्रारंभ की गई, तलाशी में लैपटॉप, पोर्टेबल अल्ट्रा साउण्ड मशीन, यूएसजी लॉसन, बीपी मशीन, मोबाईल, नगद रुपए, रिवॉल्बर एवं अन्य सामग्री जब्त कर अन्य कार्रवाई पूर्ण की गई। जांच में पाया कि आरोपी कपिल पाण्डेय ने अन्य आरोपीगण के साथ संलिप्त होकर गर्भवती महिलाओं को लाने पर उनकी अवैधानिक अल्ट्रा साउण्ड मशीन से अनाधिकृत रूप से गर्भवस्थ शिशु का लिंग परीक्षण करता है तथा उक्त अल्ट्रा साउण्ड केन्द्र पर आवश्यक अभिलेख न रखते हुए अनियमितताएं बरतता है। संपूर्ण जांच में अनियमितता व अधिनियम व नियम का उल्लंघन पाए जाने पर जिला मजिस्ट्रेट जिला ग्वालियर के आदेश द्वारा कपिल पाण्डेय एवं उसके साथ गर्भवस्थ शिशु के लिंग परीक्षण में श्रीमती प्रियंका नरवरिया व दो अन्य के विरुद्ध मुख्य चिकित्सा एवं स्वस्थ्य अधिकारी द्वारा न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया। संपूर्ण विचारण एवं साक्ष्य के आधार पर उक्त प्रकरण में कपिल पाण्डेय एवं श्रीमती प्रियंका नरवरिया को दोषसिद्ध पाया गया। उक्त मामले का विचारण विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री महेन्द्र सैनी के न्यायालय में किया गया। पैरवीकर्ता अभियोजन अधिकारी अभिषेक सिरौठिया ने न्यायालय के समक्ष तर्क प्रस्तुत किया कि उक्त अपराध समाज के प्रति गंभीर अपराध है, साथ ही कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध के प्रोत्साहित करने वाला है। न्यायालय ने भी अपने निर्णय में लेख किया है कि भारतीय परिवेश में आज भी कन्या जो कि समाज का अभिन्न अंग है, जिसके बिना एक सभ्य समाज कि कल्पना नहीं कि जा सकती है। न्यायालय ने संपूर्ण विचारण एवं साक्ष्य के आधार पर आरोपियों को उपरोक्तानुसार दण्डित किया है।