अवयस्क बालिकाओं के साथ बलात्कार करने वाले दो आरोपियों की जमानत निरस्त

विदिशा, 19 अगस्त। द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो विदिशा सुश्री प्रतिष्ठा अवस्थी के न्यायालय ने अवयस्क बालिका के साथ बलात्कार करने वाले आरोपी बृजेश तिवारी को धारा 366, 376(2)(एन) भादवि, 368, 344 भादंसं एवं पॉक्सो अधिनियम की धारा 5/6 तथा एससी/एसटी एक्ट मेें जमानत निरस्त कर दी है। वहीं दूसरे प्रकरण में आरोपी अशोक अहिरवार को धारा 363, 366, 366क, 376 376(2)(एन) भादवि, 368, 342, 120बी भादंसं एवं पॉक्सो अधिनियम की धारा 3/4, 5/6 तथा एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2)(ट) मेें जमानत निरस्त कर दी। दोनों ही मामलों में विशेष लोक अभियोजक श्रीमती प्रतिभा गौतम ने जमानत याचिका पर अपराध की गंभीरता के आधार पर कड़ा विरोध किया।
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी जिला विदिशा सुश्री गार्गी झा के अनुसार प्रथम प्रकरण में घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि आरोपी बृजेश तिवारी द्वारा सहआरोपी के साथ मिलकर 18 वर्ष से कम आयु की अवयस्क पीडि़ता का व्यपहरण कर सहआरोपी द्वारा पीडि़ता के साथ बार-बार बलात्कार किया गया। जिसमें सह आरोपी द्वारा घटना कारित करने में आरोपी का सहयोग किया गया। उक्त घटना की रिपोर्ट आरक्षी केन्द्र कुरवाई में लेखबद्ध कराई थी। रिपोर्ट के आधार पर आरोपी के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा आरोपी बृजेश तिवारी की ओर से जमानत आवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था, जिसे न्यायालय ने आरोपी के कृत्य की गंभीरता, प्रकरण की परिस्थितियों एवं महिलाओं के प्रति बढ़ते हुए योन अपराधों को देखते हुए आरोपी बृजेश तिवारी का जमानत आवेदन निरस्त कर दिया है।
वहीं दूसरे प्रकरण में घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि 15 जून 2021 को रात्रि करीबन 10 बजे आरोपी अशोक अहिरवार ने पीडि़ता को गांव के बाहर रोड पर बुलाया था, जब पीडि़ता वहां पहुंची तो वहां पर आरोपी अशोक सहआरोपी के साथ मोटर साइकिल सहित खड़े थे। आरोपी अशोक एवं अन्य आरोपी पीडि़ता को अटारीखेजडा ले गए। अटारीखेजडा में सहआरोपी कार लेकर खड़े थे फिर चारों आरोपी पीडि़ता को विदिशा लेकर गए। वहां सं अपनी मौसी के यहां ग्राम बागरोद ले गया और एक कमरे में आरोपी अशोक ने पीडि़ता के साथ कई बार बलात्कार किया। उक्त घटना की रिपोर्ट आरक्षी केन्द्र गुलाबगंज में लेखबद्ध कराई थी। रिपोर्ट के आधार पर आरोपी के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा आरोपी अशोक अहिरवार की ओर से जमानत आवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था, जिसे न्यायालय ने आरोपी के कृत्य की गंभीरता, प्रकरण की परिस्थितियों एवं महिलाओं के प्रति बढ़ते हुए योन अपराधों को देखते हुए आरोपी अशोक अहिरवार का जमानत आवेदन निरस्त कर दिया गया।