सबसे पहले मां से ही संतान को संस्कार मिलते हैं : विनय सागर

पंचकल्याणक महोत्सव में हुई नवीन प्रतिमाओं की शुद्धि, महाराजा श्रीधर का राज दरबार सजा
सुबह हुआ याग मण्डल विधान, दोपहर में माता की गोद भराई में झूमे श्रद्धालु

भिण्ड, 21 दिसम्बर। मां संतान का चयन नहीं करती, संतान मां का चयन करती है कि उसे किसकी कोख से जन्म लेना है। तीर्थंकर भगवान उसी मां का चयन करते हैं जो संस्कारदात्री हो, सौभाग्यशाली हो। साधारण माता तो सैकड़ों, हजारों पुत्रों को जन्म देती है पर तीर्थंकर जैसी माता विरले पुत्रों को ही जन्म देती हैं। यह विचार मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कीर्तिस्तंभ में आयोजित नवग्रह पंच कल्याणक महोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मंच पर मुनि श्री ध्याननंद सागर महाराज भी मौजूद थे।
मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि माता बच्चों को संस्कार देती है। सबसे पहले देखकर, सुनकर, पढ़कर, समझकर, संस्कार आते हैं। लेकिन जो माता गर्भकाल में ही बच्चों को स्वाध्याय, सामायिक, जिनादर्शन आदि के संस्कार देती है। वह बच्चा संत साधना करता है प्रभावन होता है।

मुनिश्री के चरणों समिति के जगदीश जैन, राजेश जैन, कमलेश, राजू जैन, शैलू जैन, मुकेश जैन, नरेश चंद जैन, राजेन्द्र जैन एवं प्रज्ञा संघ ने श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद लिया। वहीं शाम को गाजे-बाजे के साथ बाग्गी में इन्द्रा द्वारा भगवान जिनेन्द्र की महाआरती लेकर पहुंचे। संगीतमय आरती समाजजन ने की।

इन्द्रों ने रत्नों से किया अभिषेक किया, मुनिश्री ने कराई भगवान जिनेन्द्र शांतिधारा

आयोजन समिति में मीडिया प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि पंच कल्याणक महोत्सव में मुनि श्री विनय सागर व मुनि श्री ध्याननंद सागर महाराज के सानिध्य इन्द्रों ने भगवान जिनेद्र का अभिषेक जयघोष के साथ रत्नों से अभिषेक हुकमचंद जैन व राहुल जैन ने किया। मुनिश्री ने अपने मुखारविंद से मंत्रोच्चरण से शांतिधार सतीश जैन मुरैना एवं छोटेलाल जैन परिवार शिवपुरी ने की। इसके बाद प्रतिष्ठाचार्य डॉ. अभिषेक जैन, डॉ. आशीष जैन के मार्गदर्शन में इन्द्रा-इन्द्राणियों ने याग मण्डल विधान में आराधना, गर्भ कल्याणक की पूजन के साथ शांति हवन संपन्न किया गया।

तीर्थकर माता की गोद भराई में झूमे श्रृद्धालु, सौभाग्यवती महिलाओं ने की प्रतिमाओं की शुद्धि

जब कौशाम्बी नगरी के लोगों को खबर मिली कि माता के गर्भ में तीर्थंकर बालक का आगमन हुआ है, तो पूरी कौशाम्बी नगरी में खुशी छा गई। इसके बाद महिला संगीत के साथ इन्द्रा-इन्द्राणियों एवं समाज जनों ने मेवा, फल, मिठाई आदि से भगवान की माता सुसीमा के रूप में साधना जैन सहित नों तीर्थंकरों की माताओं की गोद भराई की गई। इसके बाद अखण्ड सौभाग्यवती महिलाओं व अष्ट कुमारियों ने प्रतिष्ठित होने आईं प्रतिमाओं की हल्दी, केशर, सर्वोषधि लेपों से शुद्धि विधी संस्कार किया।

माता द्वारा देखे गए 16 स्वप्नों का फल बताया

रात में कौशाम्बी नगरी कीर्तिस्तंभ में महाराजा श्रीधर का दरबार सजाया गया। श्रीधर महाराज को माता सुसीमा के रूप में साधना जैन द्वारा देखे गए 16 स्वप्नों का फल बताया। इसके बाद छप्पन कुमारियों ने झूमते-गाते हुए माता सुसीमा की सेवा के साथ उपहार भेंट कर उनसे कुछ प्रश्न किए।

आज निकलेगी जन्मकल्याणक शोभायात्रा, पांडुकशिला पर बालक होगा अभिषेक

आयोजन के मीडिया प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि जन्म कल्याणक महोत्सव के सुअवसर पर 22 दिसंबर को सुबह 7:30 बजे बालक का जन्म दरबार में खुशी बधाई होंगी। 10 बजे से भव्य जन्म कल्याणक महोत्सव शोभायात्रा कीर्तिस्तंभ से लश्कर रोड, परेड चौराहा, बतास बाजार, गोल मार्केट, सदर बाजार पुस्तक बाजार से होते हुए जैन नसिया मन्दिर पहुंचेगी। जहां पर दोपहर में पांडुकशिला पर तीर्थंकर बालक 1008 जन्माभिषेक होंगे। यह अभिषेक इन्द्र-इन्द्राणियों के साथ अन्य श्रृद्धालुओं करेंगे। उदयपुर के बैण्ड के साथ स्थानिय बैण्ड, ऐरावत हाथी, सुसज्जित बग्गियां, ड्रेस कोड पुरूष वर्ग सफेद वस्त्र, महिला वर्ग केशरिया साड़ी पहनकार सम्मालित होंगी।