नाबालिगा से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 20 वर्ष का सश्रम कारावास

सागर, 13 दिसम्बर। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) एवं नवम अपर सत्र न्यायाधीश जिला सागर श्रीमती ज्योति मिश्रा की अदालत ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी अशोक कोल पुत्र बन्नी कोल (आदिवासी) को दोषी करार देते हुए लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(स), सहपठित धारा 6 के अंतर्गत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं आठ हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धमेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार पटैल ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि अभियोक्त्री की मां ने उसके गुम होने की रिपोर्ट 12 सितंबर 2019 को लेख कराई कि पांच सितंबर 2019 की रात करीब 12 बजे वह उसके घर के सामने गणेशजी के यहां बैठी थी, अभियोक्त्री घर आ गई थी, थोड़ी देर बाद जब वह घर आई तब अभियोक्त्री घर पर नहीं मिली, एक बच्चे ने बताया कि अभियोक्त्री व आरोपी अशोक गली में खड़े बात कर रहे थे, फिर उसने पड़ोस में आरोपी अशोक के बहिन-बहनोई के यहां जाकर के अभियोक्त्री की तलाश की तो वहां अभियेक्त्री नहीं मिली। 27 दिसंबर 2019 को अभियोक्त्री के दस्तयाव होने पर उसने बताया कि घटना गणेश उत्सव के समय की रात के 12-01 बजे की है। घटना वाले दिन उसके मम्मी-पापा गणेश उत्सव में गए थे, घर पर वह अकेली थी, जब वह घर के पीछे बाथरूम करने को गई, तब आरोपी अशोक वहा आया और उससे कहा कि तू चिल्लाई तो मार दूंगा और उसे जबरजस्ती खचेड़कर ग्राम बड़ोरा ले गया था। आरोपी ने चिल्लाने पर मार देने की धमकी दी थी। आरोपी अशोक उसे तीन माह तक वहां रखे रहा था। आरोपी ने उसे जंगल ले जाकर उसकी मारपीट की थी और उसे बेच देने का कहा था। जब वह आरोपी अशोक से घर जाने का कहती थी, तो वह कहता था कि घर जाने का नाम लिया तो उसे मार के फेंक देगा। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना राहतगढ़ पुलिस ने भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 363, 366, 376(3), 376(2)(एन), 506(भाग-दो) एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(स), सहपठित धारा 6, धारा 3, सहपठित धारा 4(2) का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज करते हुए विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन ने साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया, अंतिम तर्क के दौरान न्यायदृष्टांत प्रस्तुत किए गए और अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) एवं नवम अपर सत्र न्यायाधीश जिला-सागर श्रीमती ज्योति मिश्रा की अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(स), सहपठित धारा 6 के अंतर्गत 20 वर्ष के सश्रम कारावास एवं आठ हजार रुपए जुर्माने से दण्डित किया है।