राम-भरत मिलाप देख दर्शक नहीं रोक पाए प्रेमाश्रु

मेहगांव में चल रही है भव्य रामलीला

भिण्ड, 04 नवम्बर। श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर श्री रामदास जी महाराज दंदरौआ सरकार की अध्यक्षता में मेहगांव चल रही रामलीला में गुरुवार को भरत मिलाप लीला का भव्य मंचन स्थानीय कलाकारों द्वारा किया गया। श्रीराम लीला का शुभारंभ अवसर पर प्रभु राम की आरती कोतवाल सरकार मेहगांव द्वारा की गई।


रामलीला मंचन के दौरान राम को वनवास दिए जाने पर राम-लक्ष्मण व सीता सहित वन की ओर चले गए और महाराज दशरथ के निधन के बाद जैसे ही भरत व शत्रुघ्न ननिहाल से वापस आए और उन्होंने राम को नहीं देखा तो वे भावुक हो गए और मां कैकेयी को पूछने लगे कि भइया कहां हैं। इस पर बताया कि राम को वनवास दिया गया है और तुम्हें राजगद्दी, इसलिए अब तुम राज तिलक की तैयारी करो। इस पर भरत ने साफ कह दिया कि वह किसी भी हाल में अयोध्या का राजा नहीं बनेंगे, वह राम भइया को वापस लाने के लिए वन में जाएंगे और उन्हें मनाकर वापस ले आएंगे। भरत व शत्रुघ्न दोनों भाई पूरे समाज के साथ अपने भइया राम को मनाने के लिए वन में जाते हैं और निषाद द्वारा बताया गया कि वह चित्रकूट पर्वत पर पर्णकुटी बनाकर रह रहे हैं। अपने भैया राम के पास जाकर भरत फूट-फूट कर रोने लगे और कहा कि आपको निर्देश पिताजी ने दिए थे कि वन में जाओ, जब वह नहीं रहे तो आदेश तो समाप्त हो गया। इसलिए आप अयोध्या लौट चलो और राजगद्दी सम्हालो। राम नहीं माने और दोनों गले मिलकर रोते रहे। भरत और राम का मिलाप देखकर उपस्थित दर्शक भी भावुक हो गए। इसके बाद राम ने भरत को अयोध्या जाने का हुक्म दिया तो भरत ने कहा कि एक शर्त है कि जब तक आप नहीं आओगे तब तक अयोध्या में सिंहासन पर आपकी खड़ाऊ रहेगी, इसलिए आप मुझे अपनी खड़ाऊ दे दो। राम ने खड़ाऊ दी और भरत वापस अयोध्या की ओर लौट आए और स्वयं नंदीग्राम में आश्रम बनाकर तपस्वी बन कर रहने लगे।