षडय़ंत्र पूर्वक हत्या करने वाले दो आरोपियों को आजीवन कारावास

सागर, 06 अगस्त। द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश सागर श्री एसबी साहू के न्यायालय ने षडय़ंत्र पूर्वक हत्या करने वाले आरोपीगण इकबाल पुत्र महबूब खान उम्र 35 साल एवं राहुल पुत्र प्रहलाद आदिवासी उम्र 24 साल निवासीगण ग्राम भडऱाना, थाना बण्डा, जिला सागर को धारा 302, 201 भादवि में दोषी पाते हुए आरोपी इकबाल को धारा 302 भादवि में आजीवन कारावास, पांच हजार रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 201 भादवि में पांच वर्ष का सश्रम कारावास, तीन हजार रुपए अर्थदण्ड तथा आरोपी राहुल को धारा 302 भादवि में आजीवन कारावास, एक हजार रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 201 भादवि में तीन वर्ष का सश्रम कारावास, 500 रुपए अर्थदण्ड से दण्डित किया है। प्रकरण में राज्य शासन की ओर से उपसंचालक (अभियोजन) अनिल कुमार कटारे ने पैरवी की।
लोक अभियोजन के मीडिया प्रभारी/ एडीपीओ जिला सागर सौरभ डिम्हा ने प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि फरियादी माखन यादव ने 21 मई 2019 को थाना उपस्थित होकर रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसका बेटा सुरेन्द्र यादव उम्र 32 साल 20 मई 2019 को दोपहर करीब तीन बजे दुकान जाने की कहकर घर से गया था, जो बापस घर नहीं आया। आस-पास पता किया जिसकी कोई जानकारी नहीं मिली। उक्त घटना के संबंध में थाना कोतवाली गुम इंसान रिपोर्ट दर्ज कर अपराध पंजीबद्ध विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान ज्ञात हुआ कि मृतक सुरेन्द्र आरोपीगण इकबाल मुसलमान एवं राहुल गौड के साथ उनकी मोटर साइकिल पर गया था। जिसकी सीसीटीव्ही फुटेज की सीडी जब्त की गई। उक्त दोनों संदेही आरोपीगण को गिरफ्तार कर समक्ष गवाहन पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि 20 मई 2019 को मृतक को अपनी मोटर साइकिल पर बिठाकर शराब पिलाते हुए कढ़ान नदी पर ले जाकर पत्थरों से उसका सिर कुचल कर उसकी हत्या की और उसको वहीं पर डाल दिया। विवेचना के दौरान आए साक्ष्य के आधार पर मृतक की पत्नी उत्तरा यादव का आरोपी इकबाल के साथ प्रेम संबंध होना एवं आरोपी इकबाल से फोन पर लगातार बात करना पाया गया। विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। प्रकरण में अभियोजन की ओर से 23 अभियोजन साक्षियों को परीक्षित कराया गया, प्रकरण में साक्ष्य के दौरान प्रकरण के कुछ महत्वपूर्ण साक्षी पक्षद्रोही हो गए थे किन्तु प्रकरण में अन्य साक्ष्य, घटना की सीडीआर, सीसीटीव्ही फुटेज को साक्ष्य के दौरान प्रस्तुत किया गया। विचारण में अभियोजन ने अपना मामला युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित किया। प्रकरण की गंभीरता और अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश श्री एसबी साहू के न्यायालय ने आरोपीगण को उक्त दण्डादेश से दण्डित किया है।