प्राइवेट शिक्षण संस्थान पढ़ाई के नाम से पालकों से वसूल रहे मनमानी फीस

भिण्ड, 22 जुलाई। औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर में प्राइवेट शिक्षण संस्थान स्कूल प्रबंधकों की मनमर्जी के कारण छात्र-छात्राओं के पालक गणों को खुलेआम लूटा जा रहा है। परंतु प्राइवेट स्कूल के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई होते नजर नहीं आ रही। स्कूल प्रबंधकों द्वारा खुलेआम मनमर्जी की फीस वसूली जा रही है, साथ में स्कूल ड्रेस एवं किताबों में दुगना कमीशन बुक स्टाल वालों से हजारों में लिया जा रहा है। कई स्कूल संचालक तो ड्रेस और स्टेशनरी का सामान अपने स्कूल से ही पालकों, छात्र-छात्राओं को खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
जानकारी अनुसार नियम यह कि स्कूल संचालक ड्रेस व स्टेशनरी का सामान छात्र-छात्राओं को अपने आप से खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकते, यहां तक कि वह अपने यहां से यह सामान बेच भी नहीं सकते, दुकान से ही अपनी मर्जी से पालक और छात्र-छात्राओं को खरीदने दें, हर स्कूल का सिलेबस एक से अधिक दुकान पर मिलना चाहिए, मगर ऐसा नहीं हो रहा है। स्कूल संचालक या तो खुद बेच रहे हैं या अधिक कमीशन निर्धारित कर अपनी मनचाही दुकान से दिलवा रहे हैं, वह भी सिर्फ एक ही जगह से। लेकिन भिण्ड जिले का शिक्षा विभाग कुंभकरण की नींद में सो रहा है, न तो जिले में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी यह भी देखने वाला नहीं है कि स्कूलों खोलने की अनुमति भी है या बगैर मान्यता के स्कूल चलाए जा रहे हैं। एक स्कूल की मान्यता पर एक से अधिक शिक्षण संस्थाएं चलाई जा रही हैं और छात्र-छात्राओं के बालकों से जबरन फीस वसूली जा रही है। क्षेत्र के बीईओ एवं संकुल अधिकारी इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रहे, जो स्कूल संचालक शासन के नियमों को खुलेआम पलीता लगाते नजर आ रहे हैं। इस मालनपुर क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक स्कूल चल रहे हैं, जो नियमों के विरुद्ध हैं, कई शिक्षा संस्थाओं में तो कक्षा आठवीं तक मान्यता है, परंतु इंटर तक बताकर उनके फार्म भर दिए जाते हैं और ग्वालियर या भिण्ड कोई बड़े स्कूल से पास कराने का ठेका लेकर हजारों रुपए बालकों से वसूलते हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी से क्षेत्रीय जनता ने मांग की है कि इस तरह की शिक्षण संस्थाओं के खिलाफ शीघ्र कठोर कदम उठाया जाए, जिससे क्षेत्र की शिक्षा संबंधी समस्याओं का निदान किया जा सके और मनमाने तरीके से हजारों रुपए वसूलने पर अंकुश लग सके। इतना ही नहीं, इस शिक्षा विभाग अधिकारियों की मिलीभगत से ही शासकीय स्कूलों में छात्र-छात्राओं की रुचि ना होने से प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा मिल रहा है और शासकीय स्कूलों में बच्चे कम जाते हैं, इस क्षेत्र में स्कूल शिक्षक लेट लतीफ तो स्कूलों में आते हैं, फिर अपने समूचे स्टाफ के साथ एकत्रित होकर गपशप लगाते रहते हैं, पढ़ाई नाम की चीज नहीं। शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की लापरवाही के चलते शासकीय स्कूलों का भी निरीक्षण नहीं किया जाता, इस कारण प्राइवेट स्कूल संचालकों की बल्ले-बल्ले है। मप्र सरकार के नुमाइंदे भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं कि इस भयंकर महंगाई में प्राइवेट स्कूलों पर अंकुश लगाकर पालकों को राहत दिलाई जाए।