जो व्यक्ति वैचारिक रूप से जितना समृद्ध होता हैं, वह व्यक्ति उतना समृद्धशाली होता है : विनय सागर

मुनिश्री के सानिध्य में हुआ कोटेश्वर रोड चिंतामणि पारसनाथ जैन मन्दिर का भूम पूजन शिलान्यास कार्यक्रम

ग्वालियर, 23 जून। जो व्यक्ति वैचारिक रूप से जितना समृद्ध होता है, वह व्यक्ति उतना समृद्धशाली होता चला जाता हैं। महान व्यक्तित्व के धनी अपने नौकर चाकर से भी विनम्रता का ही व्यवहार करते हैं। हितकारी बोलें, मधुर बोलें, कभी भी ऐसे शब्द न बोलें जो पापकारी हों। यह विचार श्रमण मुनि श्री विनय सागर महाराज ने गुरुवार को कोटेश्वर रोड स्थित श्री चिंतामणि पारसनाथ जैन मन्दिर में भूमि पूजन व शिलान्यास समारोह पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।


मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि जैन धर्म में हिंसात्मक शब्दों का प्रयोग भी हिंसा है। शब्दों को लेकर सभी को सजग और सावधान रहने की आवश्यकता है। जिसके मुख में मिठास, उसका हर दिल में निवास। जिसके मुख में खटास, कोई न फटके उसके पास, यदि आप दूसरों की मजाक उड़ाओंगे तो कल तुम्हारी भी जग हंसाई ही होगी।

मन्दिर बनवाने व जीर्णोद्धार कराना सबसे बड़ा पुण्य कार्य

मुनि श्री विनय सागर महाराज ने कहा कि मन्दिर निर्माण करने से बड़ा और कोई पुण्य कार्य नहीं हो सकता। इससे हमारी भारतीय संस्कृति सुरक्षित रहती है। मन्दिर किसी धर्म संप्रदाय की पहचान हुआ करती है। जब मन्दिर क्षतिग्रस्त हो जाए या जीर्णशीर्ण अवस्था को प्राप्त हो जाए तो उसका पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार जरूरी हो जाता है। इस मौके पर मन्दिर समिति के सुभाष जैन दाऊ, अक्षय जैन दानी, अशोक जैन, विपुल जैन, अजय जैन आदि ने मुनिश्री के चरणों श्रीफल भेंटकर मंगल आशीर्वाद लिया।

मुनिश्री ने भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक व शांतिधारा कराई

मुनि श्री विनय सागर महाराज ने शिलान्यास कार्यक्रम से पहले विधानचार्य पं. अनुभव प्रकाश जैन ने मंत्रों का उच्चारण कर जैन समाज के लोगों ने पीले वस्त्र धारण कर भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक किया। मुनिश्री ने मुखारबिंद से मंत्रों से जिनेंद्र भगवान की शांतिधारा कराई। जैन समाज के लोगों ने भगवान की दीपों से आरती उतारी।

इन्हें मिला भूमि शिलान्यास करने का सौभाग्य

जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनि श्री विनय सागर महाराज के मंगल सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य पं. अनुभव प्रकाश जैन ने मंत्रों के साथ पाश्र्वनाथ मन्दिर की मुख्य शिलान्यास ऋषभदास जैन, घासीलाल जैन, सतीश जैन, राजेन्द्र जैन, गणेशीलाल जैन, महेश जैन ने किया। वहीं प्रथम आधार शिला महेश चंद जैन परिवार एवं दूसरी आधार शिला सवा सिंघाई संतोष जैन, ऊषा जैन विजय नगर चेतकपुरी ने रखी। वहीं महिलाओं, पुरुषों ने मन्दिर की शिलाएं रखीं।