समय और धन को अच्छे कार्यों में लगाना चाहिए : शास्त्री

दंदरौआ धाम में श्रीमद् भागवत कथा के दौरान हो रहे हैं प्रवचन

भिण्ड, 10 अप्रैल। श्रृद्धावान मनुष्य दूसरे मनुष्यों की सहायता करता है, मनुष्य के अंदर श्रृद्धाभाव अच्छे इंसान होने का परिचायक है। यदि दुष्ट मनुष्य के पास धन है तो वह दूसरों को कष्ट पहुचाने में और अपने मद में धन खर्च करता है। यदि उसके पास शक्ति है तो वह दूसरों को पीड़ा पहुंचाने के लिए शक्ति का प्रयोग करता है। यह उद्गार श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के अवसर पर कथा वाचक पं. रामस्वरूप शास्त्री ने प्रवचन करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि ऐसे मनुष्य जीते हुए भी मरे के समान होते है जिसकी व्यक्ति निंदा करें। कालचक्र का व्यवहार बड़ा कठोर होता है, मनुष्य के जन्म के उपरांत उसकी मृत्यु का भी समय निश्चित हो जाता है। मनुष्य का शरीर नाशवान है, एक पल में सारा संसार बदल जाता है, समय की गति न्यारी है। मनुष्य को अपना समय और धन दोनों को अच्छे कार्यों में लगाना चाहिए। मुख्य यजमान एवं कथा पारीक्षत श्रीमती नारायणी देवी-नरसी भगत है।। भागवत कथा दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक सती चरित्र, धुव्र चरित्र, श्रीकृष्ण जन्म नंदोत्सव और सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक रामलीला का मंचन किया जा रहा है। इस अवसर पर जगदीश दीक्षित एडवोकेट, विनोद दीक्षित एडवोकेट, राजेन्द्र सिंह भदौरिया, पवन शास्त्री, जलज त्रिपाठी, नरसी दद्दा, अखिलेश, मिच्चू सहित अनेक श्रृद्धालुजन उपस्थित रहे।