हम सभी मिलकर अपने भारत को नई दिशा देंगे : गुर्जर

दयानंद सरस्वती की 198वीं जयंती पर कार्यक्रम आयोजित

भिण्ड, 27 फरवरी। अखण्ड भारत जन जागृति सेवा संस्थान द्वारा बच्चों के बीच स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भारत भूमि पर हमारी पौराणिक, वैदिक संस्कृति विलीन होने, मानव मूल्यों का ह्रास होने एवं नैतिक पतन के दौर से गुजर रहे देश को इस संकट से उबरने, इसे बचाने का संकल्प इस संस्थान ने लिया है। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि एनएसएस अधिकारी धीरज सिंह गुर्जर एवं विशिष्ट अतिथि स्कूल संचालक अरविंद सिंह मौजूद रहे।
एनएसएस अधिकारी धीरज सिंह गुर्जर ने स्वामी दयानंद सरस्वती के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व 26 फरवरी 1824 को जन्मे महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती वैदिक संस्कृति के पुरोधा, आधुनिक भारत के महान चिंतक, समाज सुधारक और आर्य समाज के संस्थापक थे। दयानंद सरस्वती जी ने ही 1876 में सर्वप्रथम स्वराज्य का नारा दिया, जिसे लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया और कहा स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। वे पाखण्ड और मूर्ति पूजा के घोर विरोधी रहे। उन्होंने रूढ़ीवादी परंपराओं के अंधानुकरण का खंडन करते हुए समाज को एक नई दिशा दी और बताया कि हमें वेदों की ओर लौटना होगा। भारत की सनातन संस्कृति को पढऩा और ठीक से समझना होगा, तभी हम बसुधैव कुटुंबकम जैसी सनातन भारतीय परंपरा का निर्वहन करते हुए राष्ट्र की एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण बनाए रखने में समर्थ हो सकेंगे। बच्चे इस देश का भविष्य है, राष्ट्र के भाग्य विधाता हैं, इन्हें सुशिक्षित, संस्कारित कर अपनी सनातन संस्कृति से परिचित कराना हमारा नैतिक दायित्व बनता है, ताकि ये सभी नौनिहाल बड़े होकर राष्ट्र विकास की मुख्यधारा से जुड़कर अपने देश का नाम रोशन कर सकें। आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान आयोजित इस तरह के कार्यक्रमों से बच्चों को उनके भविष्य निर्माण के लिए एक नई दृष्टि-नई दिशा मिलेगी। कार्यक्रम का संचालन प्रिया शर्मा ने एवं आभार प्रदर्शन निकिता भदौरिया एवं दीपक सिंह ने किया। इस दौरान भारती, दिशा भदौरिया, हर्षित यादव सहित अनेक छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।