खंबे से निकले नरसिंह भगवान ने किया हिरण्य कश्यप का वध

ग्राम चंदूपुरा में श्रीमद् भागवत कथा में सुनाई भक्त प्रहलाद की कथा

भिण्ड, 12 दिसम्बर। जिला मुख्यालय से करीब ग्राम चंदूपुरा के सिद्धबाबा आश्रम परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन रविवार को कथा वाचक आचार्य पं. नवलकिशोर शास्त्री बिल्हैटी वाले ने भक्त प्रहलाद की कथा का वाचन किया। कथा सुनकर भक्त भावविभोर हो उठे। कथा पारीक्षित सुशीला देवी एवं शिवदास महाराज हैं।

श्रीमद् भागवत कथा वाचन करते हुए भागवताचार्य

आचार्य ने बताया कि राजा हिरण्य कश्यप खुद को भगवान समझता था। प्रजा को भी वह उन्हें भगवान मानने के लिए दबाव डालता था। लेकिन हिरण्य कश्यप का पुत्र प्रहलाद विष्णु को ही भगवान मानता था। प्रहलाद के इस भक्ति भाव से हिरण्य कश्यप नाराज था। वह प्रहलाद को तरह तरह से प्रताडि़त कर भगवान विष्णु की भक्ति न करने की नसीहत देता था। हिरण्य कश्यप ने उसे उबलते तेल से डराया और एक बार तो उसने आग में न जलने का वरदान प्राप्त अपनी बहन होलिका को बुलाकर आग के हवाले कर दिया लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। इससे हिरण्य कश्यप और नाराज हो गया।
कथा वाचक ने आगे बताया कि एक दिन हिरणय कश्यप ने प्रहलाद से पूछा कि तुम्हारा भगवान विष्णु कहां रहता है। प्रहलाद ने एक खंबे की ओर इशारा करके कहा कि मेरा भगवान हर जगह है। आक्रोश में आकर हिरण्य कश्यप ने उस खंबे को गर्म करावाया और प्रहलाद को उससे लिपटने के लिए कहा। जब प्रहलाद उससे लिपट गया और उसका कुछ भी नहीं बिगड़ा तो हिरण्य कश्यप ने उस खंबे को तोडऩे का प्रयास किया। खंबे से भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में प्रकट हुए। उन्होंने हिरण्य कश्यप का वध किया। इस चित्रमयी कथा को देख और सुनकर कथा पण्डाल में मौजूद सभी दर्शक एवं श्रोता भाव विभोर हो उठे। कथा का वाचन दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक किया जा रहा है। नौ दिसंबर से आरंभ हुई कथा का समापन हवन, पूर्णाहुुति एवं भण्डारे के साथ 16 दिसंबर को किया जाएगा। कथा पण्डाल में भागवताचार्य पं. रामेश्वर दयाल शास्त्री बिल्हैटी वाले, राजेन्द्र द्विवेदी राजू एवं रेखा द्विवेदी ग्वालियर, राजेन्द्री देवी, रामशंकर शर्मा भिण्ड सहित कई गणमान्य नागरिकों के अलावा बड़ी संख्या में ग्रामीण महिला, पुरुष और बच्चे मौजूद रहे।